About Me

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हर जगह ये पूछा जाता है कि अपने बारे मे बताइए (About me), हम ये सोचते है की जो हमें जानते है उन्हें अपने बारे मे बताना ग़लत होगा क्योंकि वो हमें जानते है और जो हमें नही जानते उन्हे हम बता कर क्या करेंगे की हम कौन है | जो हमें नही जानता क्या वो वाकई हमें जानना चाहता है और अगर जानना चाहता है तो उसे About me से हम क्या बताये क्योंकि हम समझते है बातचीत और मिलते रहने से आप एक दूसरे को बेहतर समझ सकते हो About Me से नही | वैसे एक बात और है हम अपने बारे मे बता भी नही सकते है क्योंकि हमें खुद नही पता की हम क्या है ? हम आज भी अपने आप की तलाश कर रहे है और आज तक ये नही जान पायें हैं की हम क्या है? अब तक का जीवन तो ये जानने मे ही बीत गया है की हमारे आस पास कौन अपना है और कौन पराया ? ये जीवन एक प्रश्न सा ज़रूर लगता है और इस प्रश्न को सुलझाने मे हम कभी ये नही सोच पाते है की हम कौन है? कुछ बातें सीखने को भी मिली जैसे आपका वजूद आपके स्वभाव या चरित्र से नही बल्कि आपके पास कितने पैसे है उससे निर्धारित होता है | कुछ लोग मिले जो कहते थे की वो रिश्तों को ज़्यादा अहमियत देते है लेकिन अंतत: ... बहुत कुछ है मन मे लिखने के लिए लेकिन कुछ बातें या यू कहें कुछ यादें आ जाती है और मन खट्टा कर जाती है तो कुछ लिख नही पाते हैं |

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Thursday, October 13, 2011

सरस्वती मंत्र

शास्त्र कहते हैं कि लक्ष्मी का वास वहां होता है, जहां सम्पतियां रहती है। यहां सम्पत्तियों का अर्थ मात्र धन-दौलत, भूमि, मकान से ही नहीं बल्कि उन गुण, कलाओं और विद्या से भी है, जिनके द्वारा आचरण व विचार पवित्र होते हैं।
विद्या, ज्ञान, कला, बुद्धि रूपी ऐसी ही संपत्तियों से समृद्ध करने वाली देवी के रूप में माता सरस्वती पूजनीय है। यही कारण है कि दीपावली पर भी महालक्ष्मी के साथ महासरस्वी पूजा भी शुभ मानी गई है। संदेश यही है कि विद्या और ज्ञान में दक्षता से लक्ष्मी कृपा यानी धन, वैभव, यश भी प्राप्त होने लगता है।
दीपावली के अलावा देवी सरस्वती की शुक्रवार या पंचमी तिथि पर उपासना भी शुभ मानी जाती है। किंतु यश व सफलता की कामना से देवी का एक विशेष मंत्र इन सभी घडिय़ों के साथ हर रोज देवी सरस्वती की पंचोपचार पूजा या धूप, दीप लगाकर भी स्मरण किया जाए तो मनोरथ पूरे करने वाला माना गया है।
- सुबह स्नान के बाद देवी सरस्वती की प्रतिमा या तस्वीर की पंचोपचार पूजा में सफेद या केसिरया चंदन, अक्षत, पीले या सफेद फूल व दूध या मिठाई का भोग लगाकर नीचे लिखे सरल सरस्वती मंत्र का स्मरण कम से कम 108 बार स्फटिक या चंदन की माला या मन ही मन करें -
ऊँ सौं सरस्वत्यै नम:
या
ऊँ ह्रीं सरस्वत्यै नम:
- मंत्र स्मरण के साथ या बाद में धूप व दीप द्वारा देवी सरस्वती की आरती कर सद्बुद्धि और समृद्धि की कामना करें।

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