About Me

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हर जगह ये पूछा जाता है कि अपने बारे मे बताइए (About me), हम ये सोचते है की जो हमें जानते है उन्हें अपने बारे मे बताना ग़लत होगा क्योंकि वो हमें जानते है और जो हमें नही जानते उन्हे हम बता कर क्या करेंगे की हम कौन है | जो हमें नही जानता क्या वो वाकई हमें जानना चाहता है और अगर जानना चाहता है तो उसे About me से हम क्या बताये क्योंकि हम समझते है बातचीत और मिलते रहने से आप एक दूसरे को बेहतर समझ सकते हो About Me से नही | वैसे एक बात और है हम अपने बारे मे बता भी नही सकते है क्योंकि हमें खुद नही पता की हम क्या है ? हम आज भी अपने आप की तलाश कर रहे है और आज तक ये नही जान पायें हैं की हम क्या है? अब तक का जीवन तो ये जानने मे ही बीत गया है की हमारे आस पास कौन अपना है और कौन पराया ? ये जीवन एक प्रश्न सा ज़रूर लगता है और इस प्रश्न को सुलझाने मे हम कभी ये नही सोच पाते है की हम कौन है? कुछ बातें सीखने को भी मिली जैसे आपका वजूद आपके स्वभाव या चरित्र से नही बल्कि आपके पास कितने पैसे है उससे निर्धारित होता है | कुछ लोग मिले जो कहते थे की वो रिश्तों को ज़्यादा अहमियत देते है लेकिन अंतत: ... बहुत कुछ है मन मे लिखने के लिए लेकिन कुछ बातें या यू कहें कुछ यादें आ जाती है और मन खट्टा कर जाती है तो कुछ लिख नही पाते हैं |

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Tuesday, February 28, 2012

कई तरह के दर्द की एक दवा हैं चुटकी भर हींग

मसालों का उपयोग भारतीय भोजन में प्राचीन समय से होता आ रहा है। इन मसालों में से ही कई मसाले ऐसे भी है,जो सिर्फ खाने का स्वाद ही नहीं बढ़ाते हैं बल्कि अगर सही तरीके से इनका उपयोग किया जाए तो ये कई बीमारियों को भी दूर करते हैं। ऐसा ही एक मसाला है हींग। हींग वैसे तो कई तरह से उपयोग में लाई जाती है,लेकिन इसे आयुर्वेद में एक बहुत अच्छा दर्द निवारक माना गया है। वैद्यों का मानना है कि हींग को हमेशा भूनकर उपयोग में लाना चाहिए।
- एक कप गर्म पानी में एक चम्मच हींग का पाउडर घोलें। इस घोल में सूती कपड़े को भिगोकर पेट के उस हिस्से की सिकाई करें जहां दर्द हो रहा है। थोड़ी ही देर में दर्द से राहत मिलेगी।
- हींग में जरा सा कपूर मिलाकर दर्द वाले स्थान पर लगाने से दांत दर्द बंद हो जाता है ।
- भुनी हुई हींग, काली मिर्च ,पीपल काला नमक समान मात्रा में लेकर पीस लें। रोजाना चौथाई चम्मच यह चूर्ण गर्म पानी से सेवन करें। गैस और कब्ज की समस्या धीरे-धीरे खत्म हो जाएगी।
- पांच ग्राम भुनी हुई हींग, चार चम्मच अजवाइन, दस मुनक्का, थोड़ा काला नमक सबको कूट पीसकर चौथाई चममच तीन बार नित्य लेने से ,उल्टी होना ,जी मिचलाना ठीक हो जाता है।
- अदरक की गांठ में छेद करके इसमें जरा सा हींग डालकर काला नमक भर कर ,खाने वाले पान के पत्ते में लपेटकर धागा बांध कर गीली मिटटी का लेप कर दें।इसे आग में डाल कर जला लें ,जल जाने पर पीसकर मूंगफली के दाने के बराबर आकार की गोलियां बना लें। एक एक गोली दिन में चार बार चूसें। जल्द ही आराम मिलेगा।
- पैर फटने पर नीम के तेल में हींग डालकर लगाने से आराम मिलता है।
- थोड़ी सी हींग को गुड में लपेटकर गरम पानी से लें। गैस का पेट दर्द ठीक हो जायेगा।
- दांत दर्द में अफीम और हींग का फाहा रखें तो आराम मिलता है।
- हींग को पानी में घोलकर लेप बनाकर उस पर लगाने से चर्म रोग में आराम मिलता है।

इस उपाय से रात में न तो बच्चों को डर लगेगा और न ही बुरे सपने सताएंगे

क्या आपके बच्चे को रात में डर लगता है या फिर रात में सोते समय उसे बुरे-बुरे सपने आते हैं। रात में बच्चों का डरना या फिर अचानक चौंक कर उठ जाना एक आम समस्या है। बच्चों का मनोमस्तिष्क बहुत ही कोमल होता है। वे अपने आस-पास जैसी बातें सुनते हैं या देखते हैं उन्हें वैसा ही अहसास होने लगता है। अगर आपके बच्चे को भी यही समस्या है तो इसके लिए नीचे लिखा आसान उपाय करें-
किसी शनिवार को पीपल के पेड़ की एक टहनी तोड़ कर घर ले आएं। अब इसे गंगाजल से अच्छी तरह धोएं तथा गोमूत्र छिड़क दें तथा इसे रात में सोते समय बच्चों के सिरहाने रख दें। इस उपाय से रात में न तो बच्चों को डर लगेगा और न ही बुरे सपने सताएंगे।

चमत्कारी हैं इस पेड़ के पत्ते

शास्त्रों के अनुसार तीनों देवों ब्रह्मा, विष्णु और महेश में सर्वश्रेष्ठ महेश अर्थात् शिव को कई प्रकार की पूजन सामग्री अर्पित की जाती हैं। इनमें सर्वाधिक महत्वपूर्ण सामग्रियों में फूल और पत्तियां भी शामिल हैं। भोलेनाथ को बिल्व पत्र चढ़ाने का विधान है। ऐसा माना जाता है मात्र बिल्व के पेड़ पत्तियां चढ़ाने से महादेव भक्त से प्रसन्न हो जाते हैं। इसी वजह से इन बिल्व पत्रों को चमत्कारिक माना जाता है।
भोलेनाथ को प्रतिदिन बिल्व चढ़ाने से भक्त को सभी सुख-सुविधाएं प्राप्त हो जाती हैं। बिल्व पत्र अर्पण करने से शिव का सामिप्य प्राप्त होता है। अर्थात् भक्त शिव निकट पहुंच जाता है। इन पत्तों का इतना अधिक महत्व होने के कारण ही शास्त्रों में इसके लिए कई प्रकार के नियम बनाए गए हैं। कुछ दिन और तिथियां बताई गई हैं जब इन पत्तों को नहीं तोडऩा चाहिए।
किसी भी माह की अष्टमी, चर्तुदशी, अमावस्या, पूर्णिमा तिथि पर बिल्व पत्र नहीं तोडऩा चाहिए। इसके अलावा सोमवार को बिल्व पत्र नहीं तोडऩा चाहिए। सोमवार शिव का प्रिय दिवस होता हैं। इन तिथियों और दिन पर बिल्व के पत्ते नहीं तोड़े जाने चाहिए अत: एक दिन पहले ही तोड़े हुए बिल्व पत्र पूजन में उपयोग लेना चाहिए। किसी भी दिन और तिथि पर खरीदकर लाया हुआ बिल्वपत्र हमेशा ही पूजन में शामिल किया जा सकता है।

हनुमान चालीसा में चालीस दोहे ही क्यों हैं?

श्रीराम के परम भक्त हनुमानजी हमेशा से ही सबसे जल्दी प्रसन्न होने वाले देवताओं में से एक हैं। शास्त्रों के अनुसार माता सीता के वरदान के प्रभाव से बजरंग बली को अमर बताया गया है। ऐसा माना जाता है आज भी जहां रामचरित मानस या रामायण या सुंदरकांड का पाठ पूरी श्रद्धा एवं भक्ति से किया जाता है वहां हनुमानजी अवश्य प्रकट होते हैं। इन्हें प्रसन्न करने के लिए बड़ी संख्या श्रद्धालु हनुमान चालीसा का पाठ भी करते हैं। क्या आपने कभी सोचा है कि हनुमान चालिसा में चालीस ही दोहे क्यों हैं?
केवल हनुमान चालीसा ही नहीं सभी देवी-देवताओं की प्रमुख स्तुतियों में चालिस ही दोहे होते हैं? विद्वानों के अनुसार चालीसा यानि चालीस, संख्या चालीस, हमारे देवी-देवीताओं की स्तुतियों में चालीस स्तुतियां ही सम्मिलित की जाती है। जैसे श्री हनुमान चालीसा, दुर्गा चालीसा, शिव चालीसा आदि। इन स्तुतियों में चालीस दोहे ही क्यों होती है? इसका धार्मिक दृष्टिकोण है। इन चालीस स्तुतियों में संबंधित देवता के चरित्र, शक्ति, कार्य एवं महिमा का वर्णन होता है। चालीस चौपाइयां हमारे जीवन की संपूर्णता का प्रतीक हैं, इनकी संख्या चालीस इसलिए निर्धारित की गई है क्योंकि मनुष्य जीवन 24 तत्वों से निर्मित है और संपूर्ण जीवनकाल में इसके लिए कुल 16 संस्कार निर्धारित किए गए हैं। इन दोनों का योग 40 होता है। इन 24 तत्वों में 5 ज्ञानेंद्रिय, 5 कर्मेंद्रिय, 5 महाभूत, 5 तन्मात्रा, 4 अन्त:करण शामिल है। सोलह संस्कार इस प्रकार है-

1. गर्भाधान संस्कार
2. पुंसवन संस्कार
3. सीमन्तोन्नयन संस्कार
4. जातकर्म संस्कार
5. नामकरण संस्कार
6. निष्क्रमण संस्कार
7. अन्नप्राशन संस्कार
8. चूड़ाकर्म संस्कार
9. विद्यारम्भ संस्कार
10. कर्णवेध संस्कार
11. यज्ञोपवीत संस्कार
12. वेदारम्भ संस्कार
13. केशान्त संस्कार
14. समावर्तन संस्कार
15. पाणिग्रहण संस्कार
16. अन्त्येष्टि संस्कार
भगवान की इन स्तुतियों में हम उनसे इन तत्वों और संस्कारों का बखान तो करते ही हैं, साथ ही चालीसा स्तुति से जीवन में हुए दोषों की क्षमायाचना भी करते हैं। इन चालीस चौपाइयों में सोलह संस्कार एवं 24 तत्वों का भी समावेश होता है। जिसकी वजह से जीवन की उत्पत्ति है।

हस्ताक्षर के नीचे खींचना चाहिए पूरी लाईन

आज अधिकांश लोगों की समस्या होती है कि उनके पास पैसा बचता नहीं। दिन रात मेहनत करके धन तो खूब कमाते हैं परंतु बचत नहीं हो पाती और जब पैसों की सबसे ज्यादा जरूरत होती है तब कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। ऐसी परिस्थितियों से बचने के लिए ज्योतिष शास्त्र में हस्ताक्षर के संबंध में कुछ बातें ध्यान रखने योग्य बताई हैं। इन बातों को अपनाने से कुछ ही समय में धन संबंधी परेशानियों को दूर किया जा सकता है।
आप बहुत धन कमाते है और फिर भी बचत नहीं होती है तो यह उपाय करें आप अपने हस्ताक्षर के नीचे पूरी लाईन खीचें तथा उसके नीचे दो बिंदू बना दें, इन बिंदुओं का धन बढऩे के साथ बढ़ाते रहें। याद रखें अधिकतम छ: बिंदू लगाने जा सकते हैं। माता-पिता से नित्य पैर छूकर आशीर्वाद लें। सभी का सम्मान करें।
हस्ताक्षर आपके व्यक्तित्व को प्रदर्शित करते हैं। इसी वजह से इस संबंध में पूरी सावधानी रखनी चाहिए। धन बढ़ाने के लिए ऊपर बताई गई बातों को अपनाएं। कुछ ही समय में आप सकारात्मक परिणाम अवश्य प्राप्त करेंगे।
Friday, February 3, 2012

हर दिन बोलें ये मात्र 12 अक्षरी गणेश मंत्र

हर इंसान दैनिक जीवन में सुख-सफलता से जुड़े अनेक कामों व मकसद में सफलता पाने के लिए कड़ी मेहनत करता है। किंतु अनेक अवसरों पर क्षणिक स्वार्थ, लालसा या मन की चंचलता से पैदा बुद्धि दोष न केवल अपयश देकर सफलता से वंचित करता है, बल्कि मकसद पूरा करने में भी रोड़ा बन जाता है।
ऐसे दोष, विकारों से मुक्त होकर यशस्वी व सफल बने रहने के लिए ही मंगलमूर्ति श्री गणेश की उपासना का महत्व बताया गया है। क्योंकि श्री गणेश बुद्धिदाता, विघ्रविनाशक देवता माने जाते हैं। इसलिए किसी भी कार्य, नौकरी, परीक्षा व लक्ष्य में सफलता व बेहतर नतीजों को पाने के लिए शास्त्रों में हर दिन यहां बताए जा रहे मात्र 12 अक्षरी गणेश मंत्र के स्मरण का महत्व बताया गया है।
जानिए यह मंगलकारी व आसान गणेश मंत्र व सरल गणेश पूजा विधि -
- सुबह स्नान के बाद श्री गणेश की मूर्ति को भी पंचामृत स्नान के बाद सिंदूर, अक्षत, दूर्वा, पीला वस्त्र और भोग में मोदक या लड्डू अर्पित करें। वह पीले आसन पर बैठ मूंगे की माला से इस गणेश मंत्र का काम व लक्ष्य विशेष में सफलता की कामना से कम से कम 108 बार यथाशक्ति जप करें। आखिर में श्री गणेश की पूजा धूप, दीप व कर्पूर आरती करें -
ॐ नमो भगवते गजाननाय
- किसी परेशानी या अचानक आए संकट की घड़ी में भी इस मंत्र का मन ही मन ध्यान भी अनिष्ट व अशुभ प्रभावों से रक्षा करने वाला माना गया है।

शत्रु नहीं कर पाएंगे आपका नुकसान

जीवन में दोस्त भी होते हैं और दुश्मन भी। कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जिनके दुश्मन कहीं अधिक होते हैं। ऐसे में उन्हें हर समय दुश्मनों का डर सताता रहता है। अगर आप भी अपने दुश्मनों से परेशान हैं और चाहते हैं कि वे आपका नुकसान नहीं कर पाएं तो नीचे लिखे बगलामुखी मंत्र का विधि-विधान पूर्वक जप करें-
ऊँ ह्लीं बगलामुखि सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय।
जिह्वाम् कीलाय बुद्धिं विनाशय ह्लीं ऊँ स्वाहा।।

जप विधि
- अमावस्या के दिन सुबह रात में करीब 11 बजे नहाकर व साफ वस्त्र पहनकर सबसे पहले मां बगलामुखी की पूजा करें।
- माता बगलामुखी को लाल वस्त्र, लाल सिंदूर, लाल फूल, चंदन, केसर व  मिठाई अर्पित करें।
- इसके बाद एकांत में कुश के आसन पर बैठकर रुद्राक्ष के मोतियों की माला से इस मंत्र का जप करें।
- प्रति अमावस्या पर इस मंत्र की 11 माला जप करने से अति शीघ्र आपकी समस्या का समाधान हो जाएगा।

हनुमान पूजा फटाफट देगी मनचाही सफलता

मन, शरीर और विचारों के साथ जीवन और कार्य के प्रति सत्य व समर्पण की भावना मजबूत बनाने के लिये शनिवार, मंगलवार, पूर्णिमा या हनुमान जन्मोत्सव के शुभ अवसरों पर हनुमान उपासना बहुत शुभ फल देने वाली मानी गई है।
अगर आप भी सफलता और सुख की हर चाहत को पूरा करना चाहते हैं, तो हर कलह व दोषों को दूर करने के लिये यहां बताया जा रहा हनुमान उपासना का सरल उपाय विशेष मंत्र बोलते हुए करें -
- श्री हनुमान की पूजा तन, मन, वचन में पूरी पवित्रता के साथ घर या देवालय में करें।
- श्री हनुमान की पूजा में कुमकुम, अक्षत, फूल, नारियल, लाल वस्त्र और लाल लंगोट के साथ ही विशेष रूप से सिंदूर और चमेली का तेल चढ़ाने का महत्व है।
- श्री हनुमान की ऐसी प्रतिमा जिस पर सिंदूर का चोला चढ़ा हो, पर पवित्र जल से स्नान कराएं। इसके बाद सभी पूजा सामग्री अर्पण कर इस विशेष मंत्र से थोड़ा सा चमेली के तेल में सिंदूर मिलाकर या सीधे प्रतिमा पर हल्का सा तेल लगाकर उस पर सिंदूर का चोला चढ़ा दें - 
सिन्दूरं रक्तवर्णं च सिन्दूरतिलकप्रिये।
भक्तयां दत्तं मया देव सिन्दूरं प्रतिगृह्यताम।।
- हनुमान चालीसा पाठ करें या सुनें। इसके बाद गुग्गल धूप व तेल के दीप से श्री हनुमान की आरती करें व दु:खों की मार से रक्षा की प्रार्थना करें। 
श्री हनुमान की ऐसी उपासना नियमित रूप से भी करें तो शांत मन से पैदा ईश्वर व खुद के प्रति विश्वास व्यावहारिक रूप से मनचाही सफलता व यश दिलाने वाला साबित होगा।

शुक्रवार को श्रीसूक्त बोल करें लक्ष्मी का ध्यान

जीवन में संतुलन बनाए रखने के लिए धन की अहम भूमिका होती है। यही कारण है कि चाहे अमीर हो या गरीब इंसान धन अर्जित करने और बढ़ाने की जद्दोजहद करते हैं। धर्म के नजरिए से भी जन्म से लेकर मृत्यु तक धन शारीरिक, मानसिक और वैचारिक स्वास्थ्य को नियत करने वाला होता है। 
सुखी-शांति व समृद्ध जीवन की कामना से ही धार्मिक परंपराओं में शक्ति उपासना द्वारा धन बाधा को दूर करने के उपाय बताए गए हैं। जिनमें महालक्ष्मी की उपासना धन और ऐश्वर्य देने वाली मानी गई है। देवी और महालक्ष्मी की प्रसन्नता के लिए ही शास्त्रों में शुक्रवार, नवरात्रि या हर दिन भी श्रीसूक्त का पाठ बड़ा शुभ माना गया है।
अगर आप भी धन कामनापूर्ति या किसी परेशानियों से छुटकारा चाहते हैं तो देवी की पूजा, आरती के दौरान इस श्रीसूक्त का पाठ करें या किसी विद्वान ब्राह्मण से कराएं -
हिरण्यवर्णां हरिणीं सुवर्णरजतस्रजाम् । चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो ममावह ।1।
तां म आवह जातवेदो लक्ष्मीमनपगामिनीम् । यस्यां हिरण्यं विन्देयं गामश्वं पुरुषानहम् ।2।
अश्वपूर्वां रथमध्यां हस्तिनादप्रमोदिनीम् श्रियं देवीमुपह्वये श्रीर्मा देवी जुषताम् ।3।
कांसोस्मि तां हिरण्यप्राकारामार्द्रां ज्वलन्तीं तृप्तां तर्पयन्तीम् । पद्मेस्थितां पद्मवर्णां तामिहोपह्वये श्रियम् ।4।
चन्द्रां प्रभासां यशसा ज्वलंतीं श्रियं लोके देवजुष्टामुदाराम् । तां पद्मिनीमीं शरणमहं प्रपद्येऽलक्ष्मीर्मे नश्यतां त्वां वृणे ।5।
आदित्यवर्णे तपसोऽधिजातो वनस्पतिस्तव वृक्षोऽथ बिल्वः । तस्य फलानि तपसानुदन्तुमायान्तरायाश्च बाह्या अलक्ष्मीः ।6।
उपैतु मां देवसखः कीर्तिश्च मणिना सह । प्रादुर्भूतोऽस्मि राष्ट्रेस्मिन्कीर्तिमृद्धिं ददातु मे ।7।
क्षुत्पिपासामलां ज्येष्ठामलक्ष्मीं नाशयाम्यहम् । अभूतिमसमृद्धिं च सर्वां निर्णुदमे गृहात् ।8।
गन्धद्वारां दुराधर्षां नित्यपुष्टां करीषिणीम् । ईश्वरीं सर्वभूतानां तामिहोपह्वये श्रियम् ।9।
मनसः काममाकूतिंवाचः सत्यमशीमहि। पशूनां रूपमन्नस्य मयि श्रीः श्रयतां यशः ।10।
कर्दमेन प्रजाभूतामयि सम्भवकर्दम। श्रियं वासय मे कुले मातरं पद्ममालिनीम् ।11।
आपः सृजन्तु स्निग्धानि चिक्लीतवसमे गृहे। निचदेवीं मातरं श्रियं वासय मे कुले ।12।
आर्द्रां पुष्करिणीं पुष्टिं सुवर्णां हेममालिनीम्। सूर्यां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो म आवह ।13।
आर्द्रां यःकरिणीं यष्टिं पिङ्गलां पद्ममालिनीम्। चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो म आवह ।14।
तां म आवह जातवेदो लक्ष्मीमनपगामिनीम्। यस्यां हिरण्यं प्रभूतं गावोदास्योश्वान्विन्देयं पुरुषानहम् ।15।
यः शुचिः प्रयतो भूत्वा जुहुयादाज्यमन्वहम्। सूक्तं पञ्चदशर्चं च श्रीकामः सततं जपेत् ।16।
पद्मानने पद्म ऊरू पद्माक्षी पद्मसम्भवे। तन्मेभजसि पद्माक्षी येन सौख्यं लभाम्यहम् ।17।
अश्वदायी गोदायी धनदायी महाधने। धनं मे जुषतां देवि सर्वकामांश्च देहि मे ।18।
पद्मानने पद्मविपद्मपत्रे पद्मप्रिये पद्मदलायताक्षि। विश्वप्रिये विश्वमनोनुकूले त्वत्पादपद्मं मयि संनिधत्स्व ।19।
पुत्रपौत्रं धनं धान्यं हस्त्यश्वादिगवेरथम्। प्रजानां भवसि माता आयुष्मन्तं करोतु मे ।20।
धनमग्निर्धनं वायुर्धनं सूर्यो धनं वसुः। धनमिन्द्रो बृहस्पतिर्वरुणं धनमस्तु ते ।21।
वैनतेय सोमं पिब सोमं पिबतु वृत्रहा। सोमं धनस्य सोमिनो मह्यं ददातु सोमिनः ।23।
न क्रोधो न च मात्सर्यं न लोभो नाशुभा मतिः। भवन्ति कृतपुण्यानां भक्तानां श्रीसूक्तं जपेत् ।24।
सरसिजनिलये सरोजहस्ते धवलतरांशुकगन्धमाल्यशोभे। भगवति हरिवल्लभे मनोज्ञे त्रिभुवनभूतिकरि प्रसीद मह्यम् ।25।
विष्णुपत्नीं क्षमादेवीं माधवीं माधवप्रियाम्। लक्ष्मीं प्रियसखीं देवीं नमाम्यच्युतवल्लभाम् ।26।
महालक्ष्मी च विद्महे विष्णुपत्नी च धीमहि तन्नो लक्ष्मीः प्रचोदयात् ।27।
श्रीवर्चस्वमायुष्यमारोग्यमाविधाच्छोभमानं महीयते। धान्यं धनं पशुं बहुपुत्रलाभं शतसंवत्सरं दीर्घमायुः ।28।

ऐसे पूजा करने से रुठ जाती हैं महालक्ष्मी

शास्त्रों में कई ऐसे कार्य बताए गए हैं जिन्हें करने पर देवी-देवताओं का क्रोध झेलना पड़ता है। यदि किसी व्यक्ति से भगवान क्रोधित हो जाते हैं तो उसे कई प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। देवी-देवताओं में धन की देवी महालक्ष्मी का महत्वपूर्ण स्थान है। इनकी कृपा के बिना कोई भी व्यक्ति जीवन में सुख की कल्पना भी नहीं कर सकता है।
महालक्ष्मी के रुठ जाने पर व्यक्ति को पैसों की तंगी झेलना पड़ती है। ऐसे में लाख मेहनत करने के बाद भी उचित धन प्राप्त नहीं हो पाता है। यदि व्यक्ति पहले से ही धनी हो और उससे लक्ष्मीजी रुठ जाए तो उसका समस्त धन भी नष्ट हो सकता है। अत: शास्त्रों द्वारा वर्जित कार्य हमें नहीं करना चाहिए।
महालक्ष्मी को क्रोधित करने वाले कार्यों में प्रमुख है झूठे हाथों से देवी-देवताओं की प्रतिमा या चित्रों को छूना। यदि कोई व्यक्ति कुछ खाने के बाद झूठे हाथों से ही भगवान को स्पर्श करता है तो उसे देवी-देवताओं का कोप सहना पड़ता है। घर की बरकत चली जाती है। कड़ी मेहनत के बाद भी व्यक्ति के पास पैसा नहीं आता। इसके अलावा पर्स में रखा पैसा भी अनावश्यक कार्यों में तुरंत ही खर्च होने लगता। अत: इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि किसी भी परिस्थिति में झूठे हाथों से भगवान को स्पर्श न करें। भगवान के सामने जाने से पहले पूरी तरह पवित्र होकर ही जाना चाहिए। प्रसाद ग्रहण करने के बाद तुरंत हाथ धो लेना चाहिए।

घर व नौकरी से जुड़ा हर काम होगा सफल

भगवान विष्णु जगतपालक के रूप में पूजनीय है। दरअसल, विष्णु का स्वरूप, चरित्र व गुण जिम्मेदारियों को उठाने व सफलतापूर्वक पूरा करने की प्रेरणा देते हैं।
शेषशायी भगवान विष्णु के स्वरूप पर भी गौर करें तो जहां वे तामस रूप शेषनाग पर शयन करते हैं तो वहीं उनकी नाभि से प्रकट हुए रजोगुणी स्वरूप ब्रह्मदेव के दर्शन होते हैं। स्वयं विष्णु सत् गुणी व पालक स्वरूप हैं। इस तरह यह तामसी व राजसी वृत्तियों पर सत् गुणों से संतुलन व नियंत्रण की सीख है।
इसी से प्रेरणा लेकर व्यावहारिक जीवन में भी घर या नौकरी के दायित्वों को पूरा करने के लिए व्यक्ति, वक्त, स्थिति व पद के मुताबिक स्वभाव व व्यवहार को ढालकर कर हर काम में सुख-सफलता पाना संभव बनाया जा सकता है।
ऐसी ही भाव से विष्णु उपासना की शुभ तिथि एकादशी व शुक्रवार के संयोग में नीचे लिखे भगवान विष्णु की पूजा कर नीचे लिखा यह विष्णु मंत्र बोलें -
- स्नान के बाद यथासंभव पीले वस्त्र पहनें। पीले आसन पर बैठ भगवान विष्णु की प्रतिमा को पवित्र जल या पंचामृत से स्नान कराने के बाद पीला चंदन, पीले फूल, पीले रेशमी वस्त्र, पीले रंग की मिठाई, दूध या मक्खन से बनी मिठाई का भोग लगाकर पूजा करें। नीचे लिखे मंत्र का स्मरण कर चंदन धूप व गाय के घी का दीप लगा आरती करें व सफल व यशस्वी जीवन की कामना करें -
भक्तस्तुतो भक्तपर: कीर्तिद: कीर्तिवर्धन:।
कीर्तिर्दीप्ति: क्षमाकान्तिर्भक्तश्चैव दया परा।।

मनोकामना पूर्ति के लिए किस देवता को कौन सा फूल चढ़ाएं

हिंदू धर्म में विभिन्न धार्मिक कर्म-कांडों में फूलों का विशेष महत्व है। धार्मिक अनुष्ठान, पूजन, आरती आदि कार्य बिना पुष्प के अधूरे ही माने जाते हैं। कुछ फूल होते हैं जो देवताओं को विशेष प्रिय होते हैं। कौन से भगवान की पूजा किस फूल से करें, इसके बारे में यहां संक्षिप्त जानकारी दी जा रही है। इन फूलों को चढ़ाने से आपकी हर मनोकामना शीघ्र ही पूरी हो जाती है-
श्रीगणेश- आचार भूषण ग्रंथानुसार भगवान श्रीगणेश को तुलसीदल को छोड़कर सभी प्रकार के फूल चढ़ाए जा सकते हैं।
शंकरजी- भगवान शंकर को धतूरे के पुष्प, हरसिंगार, व नागकेसर के सफेद पुष्प, सूखे कमल गट्टे, कनेर, कुसुम, आक, कुश आदि के पुष्प चढ़ाने का विधान है।
सूर्य नारायण- इनकी उपासना कुटज के पुष्पों से की जाती है। इसके अलावा कनेर, कमल, चंपा, पलाश, आक, अशोक आदि के पुष्प भी प्रिय हैं।
भगवती गौरी- शंकर भगवान को चढऩे वाले पुष्प मां भगवती को भी प्रिय हैं। इसके अलावा बेला, सफेद कमल, पलाश, चंपा के फूल भी चढ़ाए जा सकते हैं।
श्रीकृष्ण- अपने प्रिय पुष्पों का उल्लेख महाभारत में युधिष्ठिर से करते हुए श्रीकृष्ण कहते हैं- मुझे कुमुद, करवरी, चणक, मालती, नंदिक, पलाश व वनमाला के फूल प्रिय हैं।
लक्ष्मीजी- इनका सबसे अधिक प्रिय पुष्प कमल है।
विष्णुजी- इन्हें कमल, मौलसिरी, जूही, कदम्ब, केवड़ा, चमेली, अशोक, मालती, वासंती, चंपा, वैजयंती के पुष्प विशेष प्रिय हैं।
किसी भी देवता के पूजन में केतकी के पुष्प नहीं चढ़ाए जाते।

छोटे से फूल का रामबाण प्रयोग

गुड़हल की कुछ प्रजातियों को उनके सुन्दर फूलों के लिए उगाया जाता है। ये फूल गणेशजी और देवी के प्रिय माने जाते हैं। दक्षिण भारत के मूल निवासी गुड़हल के फूलों का इस्तेमाल बालों की देखभाल के लिए करते हैं। भारतीय पारंपरिक चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद के अनुसार सफेद गुड़हल की जड़ों को पीस कर कई दवाएं बनाई जाती हैं। मेक्सिको में गुड़हल के सूखे फूलों को उबालकर बनाया गया पेय एगुआ डे जमाईका अपने रंग और तीखे स्वाद के लिये काफी लोकप्रिय है। आयुर्वेद में इस फूल के कई प्रयोग बताएं गए हैं आज हम भी आपको बताने जा रहे हैं कुछ ऐसे ही प्रयोग जिन्हें आजमाकर आप भी लाभ उठा सकते हैं।
- गुड़हल का शर्बत हृदय व मस्तिष्क को शक्ति प्रदान करता है तथा ज्वर व प्रदर में भी लाभकारी होता है। यह शर्बत बनाने के लिए गुड़हल के सौ फूल लेकर कांच के पात्र में डालकर इसमें 20 नीबू का रस डालें व ढक दें। रात भर बंद रखने के बाद प्रात: इसे हाथ से मसलकर कपड़े से इस रस को छान लें। इसमें 80 ग्राम मिश्री, 20 ग्राम गुले गाजबान का अर्क, 20 ग्राम अनार का रस, 20 ग्राम संतरे का रस मिलाकर मंद आंच पर पका लें। चाशनी शर्बत जैसी हो जाए तो उतारकर दो रत्ती कस्तूरी, थोड़ा अम्बर, और केसर व गुलाब का अर्क मिलाएं।
- मुंह के छाले में गुड़हल के पत्ते चबाने से लाभ होता है।
- मैथीदाना, गुड़हल और बेर की पत्तियां पीसकर पेस्ट बना लें। इसे 15 मिनट तक बालों में लगाएं। इससे आपके बालों की जड़ें मजबूत होंगी और स्वस्थ भी।
- केश काला करने के लिए भृंगराज के पुष्प व गुड़हल के पुष्प भेड़ के दूध में पीसकर लोहे के पात्र में भरना चाहिए। सात दिन बाद इसे निकालकर भृंगराज के पंचाग के रस में मिलाकर गर्म कर रात को बालों पर लगाकर कपड़ा बांधना चाहिए। प्रात: सिर धोने से बाल काले हो जाते हैं।
- सतावरी के कंद का पावडर बनाकर आधा चम्मच दूध के साथ नियमित लें, इससे कैल्शियम की कमी नहीं होगी।
- गुड़हल के लाल फूल की 25 पत्तियां नियमित खाएं। ये डायबिटीज का पक्का इलाज है।
- 100 ग्राम, सतावरी पावडर- 100 ग्राम, शंखपुष्पी पावडर-100 ग्राम, ब्राह्मी पावडर- 50 ग्राम मिलाकर शहद या दूध के साथ लेने से बच्चों की बुद्धि तीव्र होती है।

तीन अंगुलियों को आपस में ऐसे मिलाने से दिमाग तलवार से भी तेज चलने लगेगा

जब मानसिक तनाव बढ़ता है तो हमारा दिमाग उस उलझन में ठीक से सोच नहीं पाता और हम ठीक से निर्णय नहीं ले पाते। ऐसे में हमेशा डर बना रहता है कि हम कोई गलत निर्णय ना ले ले। इस डर से बचने का एक ही उपाय है कि हमारा दिमाग ठीक से कार्य करें। दिमाग को ठीक से चलाने के लिए प्रतिदिन सुबह-सुबह ज्ञान मुद्रा में बैठें। ज्ञान मुद्रा की मदद से हमारा दिमाग दौडऩे लगेगा। इस मुद्रा से हमारे दिमाग को सही चेतना मिलेगी और वह अच्छे से कार्य करेगा।

ज्ञान मुद्रा बनाने की विधि- किसी शांत और शुद्ध वातावरण वाले स्थान पर कंबल आदि बिछाकर पद्मासन या सुखासन में बैठ जाएं। अब अपने दोनो हाथों को घुटनों पर रख लें। अंगूठे के पास वाली तर्जनी उंगली (इंडेक्स फिंगर) के ऊपर के पोर को अंगूठे के ऊपर वाले पोर से मिलाकर हल्का सा दबाव दें। हाथ की बाकी की तीनों उंगलियां बिल्कुल एक साथ लगी हुई और सीधी रहनी चाहिए। अंगूठे और तर्जनी उंगली के मिलने से जो मुद्रा बनती है उसे ही ज्ञान मुद्रा कहतें है। ध्यान लगाते समय सबसे ज्यादा ज्ञान मुद्रा का इस्तेमाल किया जाता है।

इस मंत्र से करें यह छोटा-सा उपाय..तो शनि खोल देंगे भाग्य का द्वार

शास्त्र कहते हैं कि अगर इंसान शनि दशा या दैनिक जीवन में अच्छे कर्म, आचरण व व्यवहार करे तो बुरा वक्त माने जाने वाली शनि की दशा बेहाल न कर खुशहाल व भाग्यवान बना देती है। क्योंकि शनिदेवी की क्रूरता के पीछे भी अन्याय, बुराई व दुर्गुणों का अंत मुख्य लक्ष्य है, जिसे सांसारिक प्राणी शनि की अनेक दशा व स्थिति में भोगते हैं।
शनि दशाओं या अनिष्ट प्रभाव से बचने के लिए ही पुण्य कर्मों में पूजा-उपासना के अलावा सरल उपायों में दान का महत्व बताया गया है।
शनि कृपा के लिए ही दान में शनि को ही प्रिय लगने वाली चीजों के दान विशेष मंत्र से करने का महत्व बताया गया है। इससे शनि दोष शांत हो जाते हैं। जानते हैं यह शनि मंत्र और दान वस्तुएं -
- शनिवार के दिन शनिदेव की पूजा-उपासना के बाद मृत्युतुल्य कष्टों व परेशानियों को दूर करने के लिए लोहा, तेल, कंबल, उड़द की काली दाल, नीलम रत्न, सोना, नीले फूल, नमक, छाता, चमड़े के जूते-चप्पल या भैंस या गाय-बछड़े का दान किसी भी योग्य ब्राह्मण को नीचे लिखा मंत्र बोलते हुए करें -
शनैश्चरप्रीतिकरं दानं पीड़ा-निवारकम्।
सर्वापत्ति विनाशाय द्विजाग्रयाय ददाम्यहम्।।
- दान के साथ 1 या यथाशक्ति संख्या में ब्राह्मणों को भोजन कराएं व दक्षिणा दें।