About Me

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हर जगह ये पूछा जाता है कि अपने बारे मे बताइए (About me), हम ये सोचते है की जो हमें जानते है उन्हें अपने बारे मे बताना ग़लत होगा क्योंकि वो हमें जानते है और जो हमें नही जानते उन्हे हम बता कर क्या करेंगे की हम कौन है | जो हमें नही जानता क्या वो वाकई हमें जानना चाहता है और अगर जानना चाहता है तो उसे About me से हम क्या बताये क्योंकि हम समझते है बातचीत और मिलते रहने से आप एक दूसरे को बेहतर समझ सकते हो About Me से नही | वैसे एक बात और है हम अपने बारे मे बता भी नही सकते है क्योंकि हमें खुद नही पता की हम क्या है ? हम आज भी अपने आप की तलाश कर रहे है और आज तक ये नही जान पायें हैं की हम क्या है? अब तक का जीवन तो ये जानने मे ही बीत गया है की हमारे आस पास कौन अपना है और कौन पराया ? ये जीवन एक प्रश्न सा ज़रूर लगता है और इस प्रश्न को सुलझाने मे हम कभी ये नही सोच पाते है की हम कौन है? कुछ बातें सीखने को भी मिली जैसे आपका वजूद आपके स्वभाव या चरित्र से नही बल्कि आपके पास कितने पैसे है उससे निर्धारित होता है | कुछ लोग मिले जो कहते थे की वो रिश्तों को ज़्यादा अहमियत देते है लेकिन अंतत: ... बहुत कुछ है मन मे लिखने के लिए लेकिन कुछ बातें या यू कहें कुछ यादें आ जाती है और मन खट्टा कर जाती है तो कुछ लिख नही पाते हैं |

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Tuesday, December 27, 2011

टोटका करने से भी आप रोजगार पा सकते हैं

वर्तमान समय में बेरोजगारी एक बहुत बड़ी समस्या है। नौकरी न होने के कारण न तो समाज में मान-सम्मान मिलता है और न ही घर-परिवार में। यदि आप भी बेरोजगार हैं और बहुत प्रयत्न करने पर भी रोजगार नहीं मिल रहा है तो निराश होने की कोई जरुरत नहीं है। नीचे लिखा टोटका करने से भी आप रोजगार पा सकते हैं।
टोटका
बुधवार को गणेशजी के मंदिर में जाकर सवा किलो मोतीचूर के लड्डुओं का भोग लगाएं। घी का दीपक जलाएं और मंदिर में ही बैठकर 108 बार मन ही मन में नीचे लिखे मंत्र का जप करें-
मंत्र- कवन सो काज कठिन जग माही।
जो नहीं होय तात तुम पाहिं।।
इसके बाद 40 दिनों तक रोज अपने घर के मंदिर में इस मंत्र का जप 108 बार करें। ईश्वर की कृपा से 40 दिनों के अंदर ही आपको रोजगार मिल जाएगा।

जानिए शरीर के कौन से हिस्सा फड़कने से मिलेगा अचानक पैसा

अगर आपको अचानक पैसा मिलने वाला है या बहुत बड़ा फायदा होने वाला है तो कुछ शारीरिक बदलाव होने लगेंगे। अचानक पैसा मिलने से पहले महिलाओं  के शरीर के बाएं हिस्से ओर पुरूषों के दाएं हिस्से फड़कने लग जाते हैं। जानिए शरीर के कौन से हिस्सा  फड़कने से मिलेगा अचानक पैसा:
- यदि किसी व्यक्ति की दाहिनी हथेली फड़कती है तो उसे धन का लाभ प्राप्त होता है।
- यदि दाहिना हाथ फड़कता है तो भी पैसे के साथ व्यक्ति को मान-सम्मान और प्रतिष्ठा प्राप्त होती है।
- यदि दाहिने पैर की पिंडली फड़कती है तो आपको अचानक पैसा मिलेगा।
- दाहिनी आंख का कोना फड़कना बहुत शुभ माना जाता है। ऐसे में आपको पैसों के साथ साथ कोई बहुत शुभ समाचार प्राप्त होने की संभावना होती है।
-दाहिना गाल फड़कने का यही मतलब है कि आपको धन लाभ होगा।
- दाहिना कंधा फड़कने से भी अचानक धन लाभ होने के योग बनते हैं।
- अगर आपकी कमर का दाहिना हिस्सा फड़कने लगे तो भी आपको धन लाभ होगा।
अंगों के फड़कने के संबंध में एक विचारणीय बात यह है कि सामान्यत: दाहिने अंग के फड़कने का शुभ फल प्राप्त होता है एवं बाएं अंग का फड़कना शुभ नहीं माना जाता है। स्त्रियों के संबंध में बाएं अंग का फड़कना शुभ रहता है और दाएं अंग का फड़कना अशुभ माना जाता है।
Monday, December 19, 2011

बनाना है सालभर के सारे लक्ष्य आसान..

श्री हनुमान महायोगी और साधक भी हैं। श्री हनुमान के चरित्र के ये गुण संकल्प, एकाग्रता, ध्यान व साधना के सूत्रों से जीवन के लक्ष्यों को पूरा करने की  प्रेरणा देते हैं। इस संदेश के साथ कि अगर तन, मन और कर्म को दृढ संकल्प, नियम और अनुशासन से साध लिया जाए तो फिर कोई भी बड़ा या कठिन लक्ष्य  पाना बेहद आसान हो जाता है।
नई उमंग, उत्साह, ऊर्जा व आशाओं के साथ आने वाला नववर्ष भी बीते वर्ष की असफलता, निराशा को पीछे धकेल नए लक्ष्यों और सफलता की ओर बढऩे की प्रेरणा देता है। सालभर ऐसे ही लक्ष्यों को भेदने के लिये अगर शास्त्रों में बताए श्री हनुमान चरित्र के अलग-अलग 12 स्वरूपों का ध्यान एक खास मंत्र स्तुति से किया जाए तो साल के 12 महीने बहुत ही शुभ व मंगलकारी साबित हो सकते हैं।
जानते हैं धर्मग्रंथों में बताई यह खास हनुमान मंत्र स्तुति। जिसे मंगलवार, शनिवार या हनुमान उपासना के खास अवसरों के अलावा हर रोज सुबह या रात को सोने से पहले स्मरण करना न चूकें -
हनुमानञ्जनी सूनुर्वायुपुत्रो महाबल:।
रामेष्ट: फाल्गुनसख: पिङ्गाक्षोमितविक्रम:।।
उदधिक्रमणश्चैव सीताशोकविनाशन:।
लक्ष्मणप्राणदाता च दशग्रीवस्य दर्पहा।।
एवं द्वादश नामानि कपीन्द्रस्य महात्मन:।
स्वापकाले प्रबोधे च यात्राकाले च य: पठेत्।।
तस्य सर्वभयं नास्ति रणे च विजयी भवेत्।।
इस खास मंत्र स्तुति में श्री हनुमान के 12 नाम उनके गुण व शक्तियों को भी उजागर करते हैं । ये नाम है - हनुमान, अञ्जनी सूनु, वायुपुत्र, महाबल, रामेष्ट यानी श्रीराम के प्यारे, फाल्गुनसख यानी अर्जुन के  साथी, पिंङ्गाक्ष यानी भूरे नयन वाले, अमित विक्रम, उदधिक्रमण यानी समुद्र पार करने वाले, सीताशोकविनाशक, लक्ष्मणप्राणदाता और दशग्रीवदर्पहा यानी रावण के दंभ को चूर करने वाले।

देव शक्तियों को जाग्रत करे जप माला की इस मंत्र से पूजा

शास्त्रों के मुताबिक मंत्र स्मरण देव शक्तियों के आवाहन से मन और जीवन को कलहमुक्त बनाने का श्रेष्ठ और अचूक उपाय है। विशेष कामनाओं की पूर्ति के लिये देव मंत्र जप विशेष मालाओं से करने का महत्व है। किंतु अक्सर देखा जाता है कि मंत्र जप के लिए उपयोग की जाने वाली जप माला मात्र मंत्र संख्या की गिनती का जरिया मान ली जाती है और उससे संबंधित शास्त्रों में नियत मर्यादाएं भंग होती है। जबकि यह फल प्राप्ति के नजरिए से दोष पूर्ण हैं।
दरअसल, शास्त्रों के मुताबिक मंत्र जप माला जाग्रत होती है यानी वह जड़ नहीं चेतन होती है। क्योंकि माना जाता है कि देव शक्तियों के ध्यान के साथ हाथ, अंगूठे या अंगुलियों के  अलग-अलग भागों से  गुजरते माला के दाने आत्म ब्रह्म को जाग्रत करते हैं। इन स्थानों से देवीय ऊर्जा मन व शरीर में प्रवाहित होती है। इसलिए यह भी देव स्वरूप है। जिससे मिलने वाली शक्ति या ऊर्जा अनेक दु:खों का नाश करती है।
यही कारण है कि मंत्र जप के पहले जप माला का भी विशेष मंत्र से स्तुति करने का विधान शास्त्रों में बताया गया है। जानते हैं यह जप माला की उपासना का यह मंत्र -
महामाये महामाले सर्वशक्तिस्वरूपिणि।
चतुर्वर्गस्त्वयि न्यस्तस्तस्मान्मे सिद्धिदा भव।।
अविघ्रं कुरु माले त्वं गृह्णामि दक्षिणे करे।
जपकाले च सिद्धयर्थं प्रसीद मम सिद्धये।।
सरल अर्थ है कि सर्वशक्ति स्वरूपा महामाला आप में ही धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष समाये हैं। इनकी प्राप्ति भी आपसे ही संभव है। इसलिए मंत्र जप के दौरान आने वाली सभी बाधाओं का नाश करें और जिस साधना और सिद्धि के लिये मैंने आपको दाएं हाथ में ग्रहण किया है, वह भी सिद्ध करो।

शनिश्चरी अमावस्या 24 को, शनिदेव को मनाने का अचूक मौका

भारतीय ज्योतिष के अनुसार शनि को क्रूर ग्रह माना गया है। ऐसी मान्यता है कि शनि ही इंसान को उसके अच्छे व बुरे कर्मों का फल देता है इसलिए शनिदेव को न्यायाधीश भी कहा जाता है। अगर आप भी शनि से प्रभावित हैं और उसकी शांति चाहते हैं तो 24 दिसंबर, शनिवार को शनिश्चरी अमावस्या इसके लिए उपयुक्त अवसर है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जिस किसी की कुंडली में शनि प्रतिकूल स्थान पर होता है उसे जीवन भर दु:ख भोगने पड़ते हैं। साढ़े साती व ढैय्या के रूप में शनि हर व्यक्ति के जीवन कभी न कभी प्रभावित अवश्य करता है। ऐसा नहीं है कि शनि सिर्फ अशुभ फल ही प्रदान करता है, जिस पर भी शनिदेव की कृपा हो जाए उसे जीवन भर कभी कोई परेशानी नहीं होती। अगर आप भी शनिदेव को प्रसन्न करना चाहते हैं तो कुछ विशेष पूजन, तंत्र-मंत्र-यंत्र व टोने-टोटके से यह संभव है। 
24 दिसंबर तक रोजाना हमारी वेबसाइट पर शनि से जुड़ी रोचक जानकारी और विभिन्न पूजन विधियां, ज्योतिषीय उपाय, टोटके आदि विशेष सामग्री दी जाएगी,  जिससे आप सूर्य पुत्र शनि को मना सकते हैं और अपने जीवन की कई कठिनाइयों से मुक्ति पा सकते हैं।

पैसों की कमी डाले खुशियों में खलल तो बोलें यह हनुमान मंत्र

संत शिरोमणी गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित श्री हनुमान चालीसा की इस चौपाई 'अष्टसिद्धि नवनिधि के दाता, अस बर दीन जानकी माता।' संकटमोचक श्री हनुमान के शक्ति संपन्न होने के साथ ही संपूर्ण वैभव के स्वामी व दाता होना भी उजागर करती है।
यही कारण है कि श्री हनुमान उपासना न केवल तन व मन को सशक्त बनाने वाली बल्कि धन के अभाव से आने वाले सारे संकट व बाधाओं को भी टालने वाली मानी गई है।
अगर आप भी पैसों की कमी से सुखों को बंटोरने में मुश्किलों का सामना कर रहें हैं तो नीचे लिखे विशेष हनुमान मंत्र का स्मरण मंगलवार या शनिश्चरी अमावस्या के मौके पर जरूर करें -
- मंगलवार या शनिवार को स्नान के बाद श्री हनुमान मंदिर या शनि मंदिर में स्थित सिंदूर का चोला चढ़ी श्री हनुमान की प्रतिमा को सिंदूर, चमेली का तेल, फूल, अक्षत, जनेऊ व नैवेद्य चढ़ाकर नीचे लिखा हनुमान मंत्र लाल आसन पर बैठ सुख-समृद्धि की कामना से बोलें-
ऊँ नमो हनुमते रुद्रावताराय भक्तजनमन: कल्पना-कल्पद्रुमाय
दुष्टमनोरथस्तम्भनाय प्रभंजन-प्राप्रियाय
महाबलपराक्रमाय महाविपत्तिनिवारणाय
पुत्रपौत्रधन-धान्यादि विविधसम्पतप्रदाय रामदूताय स्वाहा
- मंत्र स्मरण के बाद श्री हनुमान की गुग्गल धूप व दीप से आरती कर प्रसाद ग्रहण करें। श्री हनुमान के चरणों से थोड़ा सा सिंदूर लाकर घर के द्वार या देवालय में स्वस्तिक बनाएं।

अमावस्या पर करें टोटके

24 दिसंबर को शनिश्चरी अमावस्या है। यदि इस दिन शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए उपाय किए जाएं तो शनिदेव अति प्रसन्न होते हैं तो जीवन में आ रही परेशानियों को कम कर देते हैं। यदि आप भी शनि पीड़ा से मुक्ति चाहते हैं तो शनिश्चरी अमावस्या के दिन नीचे लिखे टोटके करें-
टोटके
1- कांसें की कटोरी में तेल भरकर उसमें अपनी परछाई देखकर दान करें।
2- सरसों के तेल में लोहे की कील डालकर दान करें और पीपल की जड़ में तेल चढ़ाएं।
3- शनिश्चरी अमावस्या केदिन सूर्यास्त के समय जो भोजन बने उसे पत्तल में लेकर उस पर काले तिल डालकर पीपल की पूजा करें तथा नैवेद्य लगाएं और यह भोजन काली गाय या काले कुत्ते को खिलाएं।
4- तेल का पराठा बनाकर उस पर कोई मीठा पदार्थ रखकर गाय के बछड़े को खिलाएं।
Wednesday, December 14, 2011

ऐसा बल्ब घर में रखने से बढ़ती है पैसों की तंगी, क्योंकि...

अक्सर घर में कई ऐसे सामान होते हैं जिनका कोई उपयोग नहीं होता है या जो खराब हो जाते हैं। ऐसे सामानों को घर में नहीं रखना चाहिए। इस प्रकार की छोटी-छोटी चीजों का हमारे जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है। यहां तक कि यदि घर में फ्यूज बल्ब या खराब ट्यूब लाइट रखी जाती है तो इससे भी अशुभ प्रभाव प्राप्त होते हैं।
शास्त्रों के अनुसार घर को पूरी तरह स्वच्छ और साफ रखना चाहिए। किसी भी प्रकार से घर में फैली अशुद्धता पैसों से जुड़ी परेशानियों को जन्म दे सकती है। वास्तु के अनुसार घर में रखी हर वस्तु का अपना अलग प्रभाव होता है। यह सकारात्मक और नकारात्मक ऊर्जा के सिद्धांत पर कार्य करता है। अत: घर में रखी खराब चीजों से नकारात्मक ऊर्जा को अधिक बल प्राप्त होता है और सकारात्मकता समाप्त होती है।
यदि घर के वातावरण में नकारात्मक प्रभाव अधिक रहेगा तो परिवार के सदस्यों के विचार भी इसी प्रकार के हो जाते हैं। जिससे अन्य कार्यों में मन नहीं लगता है। मानसिक तनाव बना रहता है। घर में रखा फ्यूज बल्ब भी वातावरण को नकारात्मक बनाता है। अत: इस प्रकार के बल्ब को भी घर में नहीं रखना चाहिए, तुरंत हटा देना चाहिए। नकारात्मक बढऩे से घर की आर्थिक स्थिति पर भी विपरित प्रभाव पड़ते हैं।

तिल का प्रयोग

सर्दी में लोग अपनी सेहत बनाने के लिए दादी व नानी के नुस्खों को अपनाते हैं। तरह-तरह के आयुर्वेदिक प्रयोग करते हैं ताकि सालभर शरीर स्वस्थ और निरोगी रहे। लेकिन हमारे बुजुर्ग शायद इस विषय में हमसे ज्यादा सोचते थे इसीलिए उन्होंने स्वाद और सेहत को एक साथ संजोया।
यही कारण है कि तिल का उपयोग सर्दी में कई तरह से किया जाता है। दरअसल तिल के ये छोटे-छोटे दाने सेहत से भरपूर हैं। इसलिए तिल का प्रयोग घी व गुड़ के साथ करने से वर्षभर कई तरह के रोग दूर रहते हैं। साथ ही घर में बनी तिल पट्टी व बिजौरे भी शरीर के लिए फायदेमंद होते हैं।
 - यदि किसी को बार-बार यूरिन आने या खुलकर यूरिन न आने की समस्या है तो उसे पांच ग्राम तिल और पांच ग्राम गौखरू का काढा बनाकर दें। आराम मिलेगा।
- तिल के तेल में नीम की पत्तियां डालें। इस तेल की मालिश से मुंहासे व चर्म रोग से निजात मिलती है।
- तिल के तेल से कोलेस्ट्रोल का स्तर घटता है। यह हृदय रोग को रोकने में भी सहायक है।
- खांसी से निजात दिलाने में तिल मदद करता है। चाय बनाते समय उसमें दो ग्राम तिल या दो-तीन तिल के पौधे की पत्तियां और जरा सी अदरक भी डालें। इस चाय के सेवन से खांसी जल्द ही ठीक हो जाएगी।
- रोज सुबह दस ग्राम काला तिल अच्छी तरह चबा-चबाकर खाने से मसूड़े स्वस्थ और दांत मजबूत होते हैं।
-  तिल, सोंठ, मेथी, अश्वगंधा व हल्दी बराबर मात्रा में मिलाकर पाउडर बना लें। रोज सुबह-शाम इसका सेवन करने से अर्थराइटिस से मुक्ति मिलती है।
- तिल का सेवन कफ, सूजन, दर्द में राहत पहुंचाने में मदद करता है।
-  काले तिल को शुद्ध घी में भून लें। उन्हें पीसकर गुड़ पिघालकर दोनों को मिलाकर ठंडा कर लड्डू बांध लें। इस लड्डू के सेवन से बहुमूत्र की समस्या ठीक हो जाएगी।

रामरक्षास्त्रोत

भगवान राम मर्यादा पुरुषोत्तम कहलाते हैं। श्रीराम चरित्र खासतौर पर आज की युवा पीढ़ी के लिए जीवन की आपाधापी में कर्म, विचार और व्यवहार में संतुलन, संयम व अनुशासन से कामयाबी के अद्भुत सूत्र व प्रेरणा देता है।
भगवान राम ने युवाकाल में ही मर्यादा और शक्ति के बेहतर गठजोड़ व तालमेल से अयोध्या से लेकर लंका तक तमाम विपरीत और कठिन परिस्थितियों में सफलता व यश प्राप्त किया।
यही कारण है कि युवाओं के लिए शास्त्रों में बताए रामरक्षास्त्रोत के विशेष मंत्र का हर रोज ध्यान आज के भाग-दौड़ भरे जीवन के उतार-चढ़ाव में असफलता व मायूसी से बचाने वाला माना गया है। यथासंभव रामरक्षास्त्रोत का संपूर्ण पाठ मंगलकारी है, किंतु वक्त या किसी अन्य कारण से ऐसा करना संभव न हो तो इस एक विशेष मंत्र का श्रीराम की पंचोपचार पूजा के बाद करना भी शुभ होगा -
- सुबह स्नान के बाद श्रीराम मंदिर या घर के देवालय में भगवान राम संग माता सीता और लक्ष्मण की प्रतिमा की शुद्ध गंगा जल से स्नान कराने के बाद चंदन, पीताम्बरी वस्त्र, कमल का फूल या अन्य कोई भी सुगंधित फूल व फल या पकवानों का भोग लगाएं।
- किसी स्वच्छ आसन पर बैठ धूप व दीप लगकार नीचे लिखा यह मंत्र विशेष स्मरण करें -
संनद्ध: कवची खङ्गी चापबाणधरो युवा।
गच्छन् मनोरथान् नश्च राम: पातु सलक्ष्मण:।।
- मंत्र स्मरण के बाद श्रीराम स्तुति और आरती करें। श्रीराम को अर्पित चंदन मस्तक व कंठ पर लगाएं। यह विचार और बोल में मर्यादा के साथ कर्मों में भी पवित्रता आए। यह मंत्र रोग-दोष भगाने वाला भी माना गया है।

समय व कार्य का सही प्रबंधन

आज के भौतिक युग के रफ्तार भरे दौर में इंसान कभी जरूरतों तो कभी अनियंत्रित कामनाओं को पूरी करने की चाह में सुबह से शाम तक शरीर के साथ दिमाग भी चलाता रहता है। नतीजतन शारीरिक थकान के साथ मिलता है मानसिक तनाव, दबाव व चिंताएं। जिनसे अक्सर लक्ष्य पूर्ति, जिम्मेदारी व कर्तव्यों के निर्वहन में बाधा आती है।
ऐसी मनोदशा से छुटकारे के लिए जरूरी है समय व कार्य का सही प्रबंधन। किंतु धार्मिक उपायों में विष्णु भक्ति श्रेष्ठ मानी गई है। क्योंकि पौराणिक मान्यताओं में त्रिदेवों में एक जगतपालक भगवान विष्णु को सत्व गुणों का स्वामी माना गया है। जिसका मतलब है कि सांसारिक जीवन में हर तरह से पावनता, शांति, ज्ञान, प्रेम, सुख, आनंद, धैर्य, ऊर्जा, बल, समृद्धि, ऐश्वर्य आदि सभी शुभ व मंगल भावों से जुड़ी कामनासिद्धि के लिए भगवान विष्णु का स्मरण श्रेष्ठ उपाय है।
शास्त्रों में खासतौर पर विष्णु उपासना के लिए ऐसे मंत्र भी बताए गए हैं, जिनका ध्यान मानसिक पवित्रता देने वाला माना गया है। जिससे मन-मस्तिष्क द्वेष, कलह, क्रोध आदि दोषों से मुक्त रहते है। विष्णु उपासना के विशेष दिनों में एकादशी के साथ गुरुवार का दिन भी शुभ माना जाता है। क्योंकि यह ज्ञान के दाता देवगुरु बृहस्पति की उपासना का भी दिन होता है।
जानते हैं यह खास विष्णु मंत्र और पूजा की सरल विधि -
- गुरुवार या हर रोज भगवान विष्णु की प्रतिमा को केसर मिले दूध से स्नान कराएं। संभव न हो तो शुद्ध पवित्र जल या गंगाजल से स्नान के बाद पीला चंदन, सुंगधित फूल, इत्र, पीताम्बरी वस्त्र, दूध व घी की मिठाई का भोग लगाएं।
- चंदन धूप व गोघृत का दीप लगाकर नीचे लिखे विष्णु के स्वरूप की महिमा प्रकट करते इस आसान मंत्र को मानसिक शक्ति व बल की कामना से बोलें -
अतिनीलघनश्यामं नलिनायतलोचनम्।
स्मरामि पुण्डरीकाक्षं तेन स्नातो भवाम्यहम्।।
अर्थ है गहरे नीले बादलों जैसे श्याम रंग वाले और कमल के फूल की तरह सुंदर नेत्र वाले भगवान विष्णु के ध्यान से मैं स्नान करने के समान पवित्र हो गया हूं।
- मंत्र स्मरण व पूजा के बाद भगवान विष्णु की आरती कर, दीपज्योति, प्रसाद ग्रहण कर साष्टांग प्रणाम करें। यह अहं भाव का अंत करने वाला भी माना गया है, जो कलह का कारण है।
Friday, December 9, 2011

भगवान गणेश प्रथम पूज्य देवता

शास्त्रों के मुताबिक भगवान गणेश प्रथम पूज्य देवता है। क्योंकि भगवान गणेश विघ्रहर्ता व बुद्धिदाता माने जाते हैं। इसलिए गणेश पूजा किसी भी काम की पवित्र व अच्छे भावों के साथ शुभ व मंगल शुरुआत, कार्य के दौरान भी विघ्रों से रक्षा और अच्छे नतीजों को भी देने वाली मानी गई है।
इस तरह भगवान गणेश का नाम जीवन में कर्म और अच्छाई को अपनाने की प्रेरणा देता है। सांसारिक जीवन में भी जरूरतों व कामनाओं को पूरा करने के लिए इंसान हर दिन की बेहतर शुरुआत के साथ अपने कामों में मनचाही सफलता या नतीजों की कामना करता है।
शास्त्रों में हर रोज एक विशेष गणेश मंत्र बोलकर गणेश पूजा ऐसी ही शुभ कामनाओं को पूरा करने वाला बताया गया है। बुधवार या चतुर्थी को तो यह मंत्र स्मरण फल प्राप्ति के लिये अचूक है। इसी तरह शनिवार को यह शनि दोष दूर करता है। जानते हैं यह गणेश मंत्र और गणेश पूजा की सरल विधि-
- सुबह स्नान के बाद पवित्र होकर श्री गणेश की पूजा गंध, अक्षत, दूर्वा, पीले फूल, पीले वस्त्र, जनेऊ, गुड़, धनिया व मोदक का भोग अर्पित कर करें।
- पूजा के बाद भगवान श्री गणेश के इस मंत्र का स्मरण करें -
त्वमेव ब्रह्मा विष्णुश्र्च महेशो भानुरेव च।
त्वमेव पृथ्वी वायुरन्तरिक्षं दिशो द्रुमा:। पर्वतै: सहिता: सिद्धा गन्धर्वा यक्षराक्षसा:।।
मुनयो मानवाश्र्चापि स्थावरं जङ्गम जगत्। त्वमेव सर्वं देवेश सचेतनमचेतनम्।।
जन्मान्तरीययपुण्येन दृष्टोसि कश्यपात्मज।
- मंत्र स्मरण के बाद भगवान गणेश की आरती करें और घर में दीपज्योति फेराएं। प्रसाद ग्रहण करें।

महादेवी लक्ष्मी की कृपा

 पैसा या धन का मोह प्राचीन काल से ही सभी के मन में रहा है। सभी सुविधाओं की पूर्ति के लिए धन की ही आवश्यकता रहती है। कुछ लोगों को कम मेहनत से अधिक धन प्राप्त हो जाता है तो कुछ लोगों का कड़ी मेहनत के बाद भी पर्याप्त पैसा प्राप्त नहीं हो पाता है। शास्त्रों के अनुसार कुछ ऐसे नियम बताए जिनका पालन पर धन संबंधी परेशानियों निजात मिल सकती है।

धन की देवी महालक्ष्मी की प्रसन्नता के बाद ही व्यक्ति को धन की प्राप्ति हो सकती है। महादेवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्ति के लिए नियमित रूप से उनकी आराधना की जानी चाहिए। इसके अलावा आप जब भी बैंक में पैसा जमा करवाने या निकालने जाएं तब महालक्ष्मी के मंत्रों का जप करना चाहिए। महालक्ष्मी के मंत्र जैसे: ऊँ महालक्ष्म्यै नम:, ऊँ ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नम:, ऊँ श्रीं ह्रीं क्लीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नम: आदि के जप करना चाहिए।

ऐसा करने से बैंक में जमा आपका पैसा सुरक्षित रहेगा और उसमें बरकत भी होती रहेगी। महालक्ष्मी मंत्रों के जप से उनकी कृपा भी प्राप्त होती है और कार्यों में सफलता मिलती है। महालक्ष्मी मंत्रों के भगवान विष्णु के मंत्रों के जप से भी ये लाभ प्राप्त हो सकते हैं।