About Me

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हर जगह ये पूछा जाता है कि अपने बारे मे बताइए (About me), हम ये सोचते है की जो हमें जानते है उन्हें अपने बारे मे बताना ग़लत होगा क्योंकि वो हमें जानते है और जो हमें नही जानते उन्हे हम बता कर क्या करेंगे की हम कौन है | जो हमें नही जानता क्या वो वाकई हमें जानना चाहता है और अगर जानना चाहता है तो उसे About me से हम क्या बताये क्योंकि हम समझते है बातचीत और मिलते रहने से आप एक दूसरे को बेहतर समझ सकते हो About Me से नही | वैसे एक बात और है हम अपने बारे मे बता भी नही सकते है क्योंकि हमें खुद नही पता की हम क्या है ? हम आज भी अपने आप की तलाश कर रहे है और आज तक ये नही जान पायें हैं की हम क्या है? अब तक का जीवन तो ये जानने मे ही बीत गया है की हमारे आस पास कौन अपना है और कौन पराया ? ये जीवन एक प्रश्न सा ज़रूर लगता है और इस प्रश्न को सुलझाने मे हम कभी ये नही सोच पाते है की हम कौन है? कुछ बातें सीखने को भी मिली जैसे आपका वजूद आपके स्वभाव या चरित्र से नही बल्कि आपके पास कितने पैसे है उससे निर्धारित होता है | कुछ लोग मिले जो कहते थे की वो रिश्तों को ज़्यादा अहमियत देते है लेकिन अंतत: ... बहुत कुछ है मन मे लिखने के लिए लेकिन कुछ बातें या यू कहें कुछ यादें आ जाती है और मन खट्टा कर जाती है तो कुछ लिख नही पाते हैं |

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Monday, October 10, 2011

मात्र 4 पंक्तियां..! देती है कमाल की दिमागी ताकत व कामयाबी

आज के युग में इंसान के जीवन पर भौतिकतावाद यानी सुख-सुविधाओं, वैभव की लालसा, अति महत्वाकांक्षाएं इतनी हावी है कि चाहे-अनचाहे हर इंसान इससे प्रभावित हुए बिना नहीं रहता। जिससे जीवन से जुड़ा भावनात्मक पक्ष दरकिनार हो जाता है। जबकि धर्म के नजरिए से सुखी और शांत जीवन के लिए भावनाओं और भौतिकता के बीच सही तालमेल बहुत जरूरी है।

इंसान चाहे परिवार में रहे, समाज में या कार्यक्षेत्र में सुख-सुविधाओं के मोह, स्वार्थ, या अति महत्वाकांक्षाओं के चलते संवेदनाओं व भावनाओं से दूर न जाए। क्योंकि भावनाएं जोडऩे वाली होती है, जिससे पारिवारिक व सामाजिक दायित्वों और कार्य के लक्ष्यों को पूरा करना बेहद आसान हो जाता है।

अच्छे-बुरे विचारों के निरंतर उतार-चढ़ाव लाने वाले प्रतियोगिता के इस दौर में भी भावनाओं को ऐसी ही ताकत देती हैं, धार्मिक कर्म के आखिर में बोले जाने वाली विशेष 4 पंक्तियां। धर्म भावों से ओतप्रोत ये मात्र 4 पंक्तियां व्यावहारिक जीवन में आने वाले हर मुश्किल वक्त, दुविधा और बुरे विचारों से छुटकारे का बेहद ही सरल उपाय भी है, जो असफलताओं का कारण भी है। जानते हैं ये 4 पंक्तियां -

धर्म की जय हो,

अधर्म का नाश हो,

प्राणियों में सद्भाव हो,

विश्व का कल्याण हो।

ये पंक्तियां धर्म की महिमा उजागर ही नहीं करती, बल्कि सफलता के लिए मनोबल को ऊंचा भी करती है। क्योंकि इसमें धर्म का जयकारा कार्य के प्रति सत्य, निष्ठा, समर्पण  तो अधर्म से दूरी ईर्ष्या, द्वेष, स्वार्थ से परे होने के लिए संकल्पित करती है। तीसरी पंक्ति सद्भाव यानी मेलजोल व तालमेल से कार्य व जीवन को साधने का सूत्र। कार्यक्षेत्र में इसे  टीम वर्क भी पुकारा जाता है। कल्याण यानी, पहली तीन बातों को संकल्प के साथ अपनाने पर लक्ष्य को जोरदार तरीके से भेदना व सफलता की ऊंचाईयों को छूना तय है।

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