About Me

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हर जगह ये पूछा जाता है कि अपने बारे मे बताइए (About me), हम ये सोचते है की जो हमें जानते है उन्हें अपने बारे मे बताना ग़लत होगा क्योंकि वो हमें जानते है और जो हमें नही जानते उन्हे हम बता कर क्या करेंगे की हम कौन है | जो हमें नही जानता क्या वो वाकई हमें जानना चाहता है और अगर जानना चाहता है तो उसे About me से हम क्या बताये क्योंकि हम समझते है बातचीत और मिलते रहने से आप एक दूसरे को बेहतर समझ सकते हो About Me से नही | वैसे एक बात और है हम अपने बारे मे बता भी नही सकते है क्योंकि हमें खुद नही पता की हम क्या है ? हम आज भी अपने आप की तलाश कर रहे है और आज तक ये नही जान पायें हैं की हम क्या है? अब तक का जीवन तो ये जानने मे ही बीत गया है की हमारे आस पास कौन अपना है और कौन पराया ? ये जीवन एक प्रश्न सा ज़रूर लगता है और इस प्रश्न को सुलझाने मे हम कभी ये नही सोच पाते है की हम कौन है? कुछ बातें सीखने को भी मिली जैसे आपका वजूद आपके स्वभाव या चरित्र से नही बल्कि आपके पास कितने पैसे है उससे निर्धारित होता है | कुछ लोग मिले जो कहते थे की वो रिश्तों को ज़्यादा अहमियत देते है लेकिन अंतत: ... बहुत कुछ है मन मे लिखने के लिए लेकिन कुछ बातें या यू कहें कुछ यादें आ जाती है और मन खट्टा कर जाती है तो कुछ लिख नही पाते हैं |

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Monday, October 10, 2011

इन छोटे-से वराह मंत्रों से करें विष्णु का ध्यान..

गुण के साथ शक्ति का संयोग निर्णायक ही नहीं बल्कि हर बुराई की काट भी होता है। यही कारण है कि व्यावहारिक जीवन में गुण संपन्नता के लिए ज्ञान, तो ताकतवर बनने के लिए शरीर व मन से मजबूत होना अहम माना जाता है। ऐसा होने पर ही नि:स्वार्थ कर्म से भरा आचरण जीवन में यश व सफलता लाता है।

हिन्दू धर्म शास्त्रों के मुताबिक भगवान विष्णु ने जगत कल्याण के लिए ऐसे ही अनेक अवतार लिए। जिनमें वराह अवतार भी प्रमुख है। पौराणिक मान्यताओं में वराह, यानी सूकर के स्वरूप में वराह देव ने राक्षसराज हिरण्याक्ष का अंत कर पृथ्वी को मुक्त कराया व सृष्टि रचना व कल्याण की राह आसान की। यही कारण है कि वराह देव के रूप में विष्णु का ध्यान तमाम मुश्किल व विपरीत हालातों से छुटकारा देकर यशस्वी व सफल जीवन देने वाला माना गया है।

शास्त्रों में भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया वराह देव का जन्मकाल माना जाता है। किंतु विष्णु अवतार होने से एकादशी व द्वादशी के दिन वराह देव के आसान मंत्रों का ध्यान भी विष्णु स्मरण के समान फल देकर मंगलकारी माने गए हैं। जानते हैं ये आसान वराह मंत्र व पूजा की आसान विधि -

- यथासंभव व्रत का संकल्प के साथ प्रात: स्नान कर वराह देव की मूर्ति को गंगाजल से स्नान कराएं।

- वराह देव की पूजा में गंध, अक्षत, चंदन, पुष्प, तुलसी माला, पीले वस्त्र, सुपारी, फल व फल अर्पित कर दूध की मिठाई का नेवैद्य लगाएं।         

- पूजा के बाद वराह देव के इन विशेष व सरल मंत्रों का स्मरण सफल जीवन की कामना के साथ करें। तुलसी माला से जप करना भी शुभ होता है। मान्यता है कि ये मंत्र विशेष भगवान विष्णु के स्मरण का भी फल देकर धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष सभी कामनाएं पूरी करते हैं -

ऊँ वराहाय नम:

ऊँ सूकराय नम:

ऊँ धृतसूकररूपकेशवाय नम:

- पूजा व मंत्र जप के बाद वराहदेव की धूप, दीप व कपूर्र आरती करें। क्षमाप्रार्थना के साथ यथाशक्ति अन्न, धन किसी योग्य ब्राह्मण या गरीबों को दान करें।

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