About Me

My photo
हर जगह ये पूछा जाता है कि अपने बारे मे बताइए (About me), हम ये सोचते है की जो हमें जानते है उन्हें अपने बारे मे बताना ग़लत होगा क्योंकि वो हमें जानते है और जो हमें नही जानते उन्हे हम बता कर क्या करेंगे की हम कौन है | जो हमें नही जानता क्या वो वाकई हमें जानना चाहता है और अगर जानना चाहता है तो उसे About me से हम क्या बताये क्योंकि हम समझते है बातचीत और मिलते रहने से आप एक दूसरे को बेहतर समझ सकते हो About Me से नही | वैसे एक बात और है हम अपने बारे मे बता भी नही सकते है क्योंकि हमें खुद नही पता की हम क्या है ? हम आज भी अपने आप की तलाश कर रहे है और आज तक ये नही जान पायें हैं की हम क्या है? अब तक का जीवन तो ये जानने मे ही बीत गया है की हमारे आस पास कौन अपना है और कौन पराया ? ये जीवन एक प्रश्न सा ज़रूर लगता है और इस प्रश्न को सुलझाने मे हम कभी ये नही सोच पाते है की हम कौन है? कुछ बातें सीखने को भी मिली जैसे आपका वजूद आपके स्वभाव या चरित्र से नही बल्कि आपके पास कितने पैसे है उससे निर्धारित होता है | कुछ लोग मिले जो कहते थे की वो रिश्तों को ज़्यादा अहमियत देते है लेकिन अंतत: ... बहुत कुछ है मन मे लिखने के लिए लेकिन कुछ बातें या यू कहें कुछ यादें आ जाती है और मन खट्टा कर जाती है तो कुछ लिख नही पाते हैं |

Blog Archive

Followers

Powered by Blogger.
Thursday, October 27, 2011

इस डेढ़ घंटे में तिजोरी न खोलें

हर दिन एक टाइम ऐसा होता है जो आपके पैसों के लिए खतरनाक हो सकता है। ये खतरनाक समय डेढ़ घंटे का होता है अगर आपने अपनी तिजोरी इस डेढ़ घंटे में खोल ली यानी तिजोरी में से पैसे निकाले या रखें तो समझ लें धीरे-धीरे आपका पैसा खत्म होने लगेगा और खर्च बढऩे लगेंगे। हो सकता है इस समय में लक्ष्मी आपकी तिजोरी से निकल जाए इसलिए सावधान रहें और जान लें कौन से डेढ़ घंटे आपके पैसों के लिए हो सकते हैं खतरनाक...
जानें किस दिन कौन से डेढ़ घंटे

सोमवार- सुबह 7:30 से 9:00

मंगलवार- दोपहर 03 से 04:30

बुधवार- दोपहर 12 से 01:30

गुरुवार- दोपहर 01:30 से 03:00

शुक्रवार- सुबह 10:30 से 12:00

शनिवार- सुबह 09:00 से 10:30

रविवार- शाम 04:30 से 06:00

गोल्डन पिरियड के इशारे

अगर आपकी किस्मत बदलने वाली है और पैसों का छप्पर फटने वाला है तो उससे पहले आपको कुछ इशारे मिलेंगे जिनसे आप पहले ही समझ जाएंगे कि आपका गोल्डन पिरियड आने वाला है जानिए वो कैसे इशारे हैं।
- अगर आप सपने में इन्द्र धनुष देखते हैं तो समझें आपके जीवन का बहुत सुखमय और खुशियों भरा समय शुरु होने वाला है।
- अगर सपने में कलश, शंख और सोने के गहने दिखे तो आपको जीवन में हर सुख मिलने वाला है।
- ये भी एक इशारा है अच्छे समय का, अगर सपने में खुद को चाय या चाय की चुस्की लेते देखें तो समझें आपके जीवन में हर्ष उल्लास और समृद्धि आने वाली है।
- जब कोई अपनी खोई हुई वस्तु प्राप्त करता है तो उसे आगामी जीवन में सुख मिलता है।
- अगर कोई व्यक्ति सपने में तिल, चावल सरसों, जौ, अन्न, का ढेर देखता है तो उस व्यक्ति को जीवन में सभी सुख मिलते हैं।

पर्स में रखें ये अनोखी चीजें

अगर आप चाहते हैं कि आप पर हमेशा लक्ष्मी मेहरबान रहे तो अपने पर्स में कुछ अनोखी चीजें रखें । इनको रखने से पूरे साल आप पर पैसों की बरसात होगी और कभी पैसों की तंगी नहीं झेलना पड़ेगी।



- इस दिवाली पर अपने पर्स में एक लाल रंग का लिफाफा रखें। इसमें आप अपनी कोई भी मनोकामना एक कागज में लिख कर रखें। इससे वह शीघ्र पूरी होगी।



- अगर पर्स में चांदी का सिक्का रख सके तो हमेशा रखा रहने दें।



- चावल को हल्दी लगाकर अपने पर्स में रखें।



- बैग में लाल रेशमी धागे से एक गांठ बांध कर रखें।



-बैग में शीशा और छोटा चाकु अवश्य रखें।



- पर्स में रुपये-पैसे जहां रखते हों वहां पर कौड़ी या गोमती चक्र रखें।



- चाबी को छल्ले में डाल कर रखें। यदि इस छल्ले में लाफिंग बुद्धा या अन्य कोई फेंगशुई का प्रतीक अच्छा रहता है।



- पर्स में किसी भी प्रकार का पिरामिड रखें। यह आपके लिए लाभदायक होगा।
Tuesday, October 25, 2011

लक्ष्मी के आसान मंत्र..

जगतजननी देवी के कल्याणकारी रूपों में दशमहाविद्या की साधना व पूजा सभी भौतिक व आध्यात्मिक सुख प्रदान करने वाली मानी गई है। इन दशमहाविद्याओं में ही एक है मां कमला। शास्त्रों के मुताबिक समुद्र मंथन से प्रकट हुई कमल पर विराजित देवी लक्ष्मी का यह स्वरूप धन, धान्य व ऐश्वर्य से पूर्ण कर दरिद्रता का अंत कर देती है।

दस विद्या की साधना में पावनता, संयम व अनुशासन का बड़ा महत्व है। लेकिन दीपावली के पांच दिनों की शुभ घड़ी में कमला लक्ष्मी का आसान मंत्रों से स्मरण मात्र भी श्री संपन्न और अर्थ कामना सिद्ध करने वाला बताया गया है।

दीपपर्व के हर दिन विशेष विधि-विधान से उपासना के बाद किसी लाल आसन पर बैठ इन 11 विशेष नामों का मन ही मन स्मरण कर अंत में लाल फूल और अक्षत चढ़ाकर देवी से सुख-समृद्ध जीवन की कामना करें-

ऊँ कमलायै नम:

ऊँ महामायायै नम:

ऊँ मंङ्गलायै नम:

ऊँ महाविष्णुप्रियंकर्यै नम:

ऊँ महाशक्त्यै नम:

ऊँ वरदायै नम:

ऊँ पूर्णायै नम:

ऊँ इन्दिरायै नम:

ऊँ गोविन्दवल्लभायै नम:

ऊँ मातंङ्गायै नम:

ऊँ वेदपूजितायै नम:

अपनी प्लानिंग किसी को न बताए

आज के दौर जैसे-जैसे आपसी प्रतिस्पर्धा बढ़ रही है ठीक उसी तरह कार्यों में सफलता पाना उतना ही अधिक मुश्किल हो गया है। इसकी वजह यह है कि किसी भी व्यक्ति की आसपास के लोगों या अन्य लोगों से उसकी प्रतिस्पर्धा का स्तर काफी अधिक बढ़ गया है। सभी चाहते है कि वे सबसे आगे रहे और इसके लिए वे कई प्रकार के प्रयास भी करते हैं। यदि आप भी सफलता प्राप्त करना चाहते हैं तो यह मूल मंत्र अपनाएं।

सफलता प्राप्त करने के लिए सबसे अधिक जरूरी है सुव्यवस्थित योजना। इस संबंध में आचार्य चाणक्य ने बताया है कि योजना इतनी सटीक होना चाहिए कि किसी भी बिंदू पर उसके निष्फल होने की संभावनाएं कम से कम रहे। इसके अलावा यह बात सबसे अधिक ध्यान रखने योग्य है कि अपनी योजना क्या है यह किसी अन्य व्यक्ति पर भूलकर भी जाहिर नहीं होने देना चाहिए। बुद्धिमानी इसी में है कि अपनी योजनाओं का रहस्य बनाए रखें। चुपचाप अपना काम करते रहे और आपके प्रतिस्पर्धियों को बिल्कुल समझ नहीं आना चाहिए आपकी योजना क्या है?

आचार्य चाणक्य के अनुसार इस बात को व्यक्त मत होने दीजिये कि आपने क्या करने के लिए सोचा है, बुद्धिमानी से अपनी योजना को रहस्य बनाए रखिए और लक्ष्य की ओर चुपचाप बढ़ते रहें। अपनी योजनाएं किसी ओर पर जाहिर होने के बाद वह आपके क्षति भी पंहुचा सकते हैं और लक्ष्य तक पहुंचने में आपके लिए मुश्किल अवश्य बढ़ जाएंगी। इस बात का सदैव ध्यान रखें।

ध्यान रखें इन 6 बातों का...

देवी-देवताओं की पूजा में आरती सबसे महत्वपूर्ण कर्म है। आरती के साथ ही पूजा-अर्चना पूर्ण होती है। पूजा में आरती के महत्व को देखते हुए दीपक तैयार करते समय कई सावधानियां रखनी अनिवार्य है। विधि-विधान से तैयार किए गए दीपक से देवी-देवताओं की कृपा जल्दी ही प्राप्त होती है-

- देवताओं को घी का दीपक अपनी बायीं ओर तथा तेल का दीपक दायीं ओर लगाना चाहिए।

- देवी-देवताओं को लगाया गया दीपक पूजन कार्य के बीच बुझना नहीं चाहिए। इस बात का विशेष ध्यान रखें।

- दीपक हमेशा भगवान के सामने ही लगाएं।

- घी के दीपक के लिए सफेद रुई की बत्ती लगाएं।

- तेल के दीपक के लिए लाल बत्ती का उपयोग किया जाना चाहिए।

- दीपक कहीं से खंडित या टूटा नहीं होना चाहिए।
Tuesday, October 18, 2011

सुंदरकांड की चौपाई

हमारे व्यक्तित्व में जिस बात का रस भरा होगा, उसके छींटे हमसे मिलने वालों पर गिरेंगे ही। हनुमानजी तो भीतर से भक्ति रस से भरे हुए हैं, उनके रोम-रोम में राम हैं। इसी कारण जो उनसे मिलता है, उसे सान्निध्य सुख प्राप्त होता है।
उनकी मौजूदगी ही अपने आप में एक संरक्षण बन जाती है। सुंदरकांड में लंका प्रवेश पर हनुमानजी व लंकनी का वार्तालाप तुलसीदासजी ने बड़े गहन भाव के साथ लिखा है। वह हनुमानजी से हो रही अपनी इस वार्ता को सत्संग बताती है और आगे लंका प्रवेश के लिए हनुमानजी को एक विचार देती है।
इस विचार को तुलसीदासजी ने लंकनी जैसी राक्षसी के मुंह से कहलाया है-

प्रबिसि नगर कीजे सब काजा। हृदयं राखि कोसलपुर राजा।।

अयोध्या पुरी के राजा श्रीरघुनाथजी को हृदय में रखकर नगर में प्रवेश करते हुए सब काम कीजिए।
मानस की यह चौपाई अपने प्रभाव के कारण ही मंत्र हो गई। विपत्तियों को छोटी मान लेना ही उन पर विजय जैसा है। हनुमानजी के हृदय में तो श्रीराम पूर्व से थे ही, क्योंकि लंका के लिए उड़ते समय उनके लिए लिखा गया है-

यह कहि नाइ सबन्हि कहुं माथा। चलेउ हरषि हियं धरि रघुनाथा।।
उन्होंने दो काम किए थे- पहला श्रीराम हृदय में थे, दूसरा प्रसन्न थे। इसी कारण हनुमानजी की उपस्थिति मात्र से लंकनी के विचार भी दिव्य हो गए। हम अपनी भीतरी स्थिति को जितना पुनीत रखेंगे, बाहर का वातावरण उतना ही शुभ होगा।
Monday, October 17, 2011

Why worship Lakshmi on Diwali?

Hindus celebrate their festivals on the basis of the planetary positions of the Sun and the Moon. They are the most powerful planets which when placed favourably influence the person inconsiderably.

The Sun represents our soul and the Moon is capable of conferring great mental power.

Their auspicious presence and positioning create certain other combinations which confer favourable moments/hours to celebrate festivals.

One such esteemed festival is Diwali, the day when both Sun and Moon are placed in the same sign ie Libra, collaborating the most auspicious conjugation resulting in Amavasya, the night when the moon wanes off and total darkness sets in, calming down the frivolous mind which is totally governed by the moon. The more serene the mind becomes the more Shri Laxmi Pooja becomes intense and rewarding.

It is stated in Durgasaptshati that when the whole creation was engulfed in the shrouding darkness of Amvasaya, there emerged 18 armed Mahalxmi – the brilliant, glowing, luminous, divine light, enabling the whole evolutionary process to boom and develop.

Astrologically speaking, the planetary position plays an important role when the Diwali night falls in. The Sun and the Moon are placed in the same zodiac ie Libra, which is a zodiac for Surya – the Sun. The sign Libra belongs to Venus – planet known for bestowing wealth, riches, opulence and grandeur. The same is the case with goddess Laxmi – the deity of riches, prosperity, wealth and fortune. Such two combinations make the day auspicious to adore Laxmiji on Diwali night.

Secondly, the Sun – a panchamesh (the Lord of the fifth house) and the Moon – a chaturthesh (the Lord of the 4th house) when stationed in seventh house (whose sign Libra and the Lord is Venus) together forms an auspicious Yog called Laxmi Yog – the most opportune time for revering goddess Laxmi so that her blessings in the form of joy, prosperity, affluence, fertility, beauty, and enlightenment continuously be showered upon the devotees.

तीन संयोग और 24 घंटे का महामुहूर्त

20 अक्टूबर को गुरु पुष्य नक्षत्र है। गुरुवार का दिन होने के अलावा सर्वार्थ सिद्धि, अमृत सिद्धि और गजकेसरी योग की वजह से इसका महत्व बढ़ गया है। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. आनंद शंकर व्यास के मुताबिक यह सुबह 6.35 से अगले दिन सुबह 6.33 तक रहेगा। यानी सभी कार्यो के लिए 24 घंटे का महामुहूर्त। इससे पहले यह नक्षत्र 2007 में था। अगली बार यह 2014 में आएगा।

धन, ज्ञान और बल के प्रतीक का दिन
राजस्थान ज्योतिष परिषद के महासचिव डॉ. विनोद शास्त्री बताते हैं कि इसी दिन भगवान श्रीराम का विवाह हुआ था। इसके अलावा गुरु पुष्य नक्षत्र को महालक्ष्मी, महासरस्वती और महाकाली का संयोग भी माना जाता है। यानी धन, ज्ञान और बल के प्रतीक का दिन।

गुरु और शनि की वजह से खास है..

जालंधर के पं. सतपाल कहते हैं पुष्य नक्षत्र 27 नक्षत्रों में सबसे अधिक फलदायी माना गया है। इसके देवता बृहस्पति हैं। लेकिन स्वामी शनि। बृहस्पति ज्ञान और नीति-निर्धारण में अग्रणी बनाते हैं। जबकि शनि स्थिरता लाते हैं। इस दिन जो कार्य किए जाते हैं, वे लंबे समय तक शुभ फल देते हैं।

बच्चों के लिए विशेष प्रभावशाली दिन

लुधियाना के ज्योतिष पं. मनोज शर्मा बताते हैं 20 अक्टूबर को अहोई अष्टमी भी है। इस दिन माताएं बच्चों की दीर्घायु और संपन्नता के लिए व्रत रखती हैं। गुरु पुत्र कारक होता है। यानी यह नक्षत्र बच्चों के लिए विशेष रूप से प्रभावी रहेगा। बच्चों की पढ़ाई से जुड़ी चीजें खरीदना शुभ होगा।

चौघड़िए के मुताबिक खरीदारी का विशेष फल

ज्योतिषियों के मुताबिक चौघड़िए के मुताबिक खरीदारी हो तो विशेष फल मिलता है। पुष्य नक्षत्र के देवता बृहस्पति हैं और उन्हें सोना प्रिय होता है। इसलिए सोना खरीदना अधिक फलदायी है। साथ ही इस दिन जमीन खरीदना भी शुभदायी माना गया है।

कब क्या खरीदें

> सुबह 10.47 से दोपहर 12.12 बजे तक चर का चौघड़िया है। इस दौरान वाहन, यंत्र (मशीनरी), इलेक्ट्रॉनिक सामान व बही खातों की खरीदारी श्रेष्ठ रहेगी।

> दोपहर 12.12 से 3.01 बजे तक लाभ और अमृत के चौघड़िए में सभी प्रकार की वस्तुएं खरीदना शुभ होगा। खास कर बहीखाते, धातु, इलेक्ट्रॉनिक वस्तुएं।

> शाम 4.27 से सूर्यास्त तक शुभ के चौघड़िए में जमीन-जायदाद की खरीदारी शुभ है।

> शुक्रवार को सुबह 10.47 बजे तक लाभ-अमृत में बर्तन, गहने, वस्त्र और इलेक्ट्रॉनिक सामान की खरीदारी श्रेष्ठ रहेगी।
Thursday, October 13, 2011

Vaastu Shastra

According to Vaastu Shastra, a person's room should be set according to his/her age. Every room has a level of negative and positive energy which affects out personality.

There are certain rules inscribed in Vaastu Shastra to ensure the flow of positive energy in the room.

For kids:

- Light colours should be used in children's room. Walls and curtains should be light coloured. Cream and baby pink are apt for their room.

- The study table should be kept in north.

For bachelors:

- If you are having problems in getting married then make sure you never keep a green plant or bouquet in your room.

- Room in the south-west corner is the best for youth.

- Television, radio and computer should not be kept in the room.

For married couple:

- They should have a picture of lovers or love birds in the room.

- They should have light pink curtains in the bedroom.

- The walls should be painted either cream or light pink.

How to please Lord Hanuman?

Believed to be an avatar of Lord Shiva, Hanuman is worshiped as a symbol of physical strength, perseverance and devotion. It is believed that he can solve all your problems.

According to scriptures, Lord Hanuman’s blessings can make you successful. The people who seek success should worship Lord Hanuman every day. If anyone finds it difficult to worship everyday then he/she can do the puja on Tuesdays and Saturdays.

To get all your wishes fulfilled and get rid of all your problems then chant the following mantra along with vermillion, red sandalwood, akshat, flowers and sweets made of jaggery or black grams and jaggery, incense sticks and diya with jasmine oil or ghee made or cow’s milk.

You can chant the mantra 11, 21, 51 or 108 times with a rosary.

Ham hanumante rudratmakay hum fat

After this conduct aarti and apply vermillion on your forehead. Distribute the prasad to everyone.

तिरूपति बालाजी

तिरूपति बालाजी का मंदिर सबसे धनी मंदिरों में से एक है। यहां भक्तों द्वारा काफी धन, सोना-चांदी, हीरे-मोती आदि अर्पित किए जाते हैं। आंध्र प्रदेश के चित्तुर जिले में धन और वैभव के प्रतीक भगवान विष्णु यानि श्री तिरूपति बालाजी का मंदिर स्थित है। ऐसा माना जाता है यहां साक्षात् भगवान श्रीहरि विराजमान हैं। यहां बालाजी की करीब 7 फीट ऊंची श्यामवर्ण की प्रतिमा स्थापित है।

तिरूपति बालाजी एक ऐसा मंदिर है जहां भगवान को सबसे अधिक धन, सोना, चांदी, हीरे-जवाहरात अर्पित किए जाते हैं। यहां दान करने की कोई सीमा नहीं है। भक्त यहां नि:स्वार्थ भाव से अपनी श्रद्धा के अनुसार धन अर्पित करते हैं। यह धन चढ़ाने के संबंध में एक कथा बहुप्रचलित है।

कथा के अनुसार एक बार सभी ऋषियों में यह बहस शुरू हुई कि ब्रह्मा, विष्णु और महेश में सबसे बड़ा देवता कौन हैं? त्रिदेव की परिक्षा के लिए ऋषि भृगु को नियुक्त किया गया। इस कार्य के लिए भृगु ऋषि भी तैयार हो गए। ऋषि सबसे पहले ब्रह्मा के समक्ष पहुंचे और उन्होंने परमपिता को प्रणाम तक नहीं करा, इस पर ब्रह्माजी भृगु ऋषि पर क्रोधित हो गए।

अब ऋषि शिवजी की परीक्षा लेने पहुंचे। कैलाश पहुंचकर भृगु बिना महादेव की आज्ञा के उनके सामने उपस्थित हो गए और शिव-पार्वती का अनादर कर दिया। इससे शिवजी अतिक्रोधित हो गए और भृगु ऋषि का अपमान कर दिया।

अंत में ऋषि भुगु भगवान विष्णु के सामने क्रोधित अवस्था में पहुंचे और श्रीहरि की छाती पर लात मार दी। इस भगवान विष्णु ने विनम्रता से पूर्वक पूछा कि मेरी छाती व्रज की तरह कठोर है अत: आपके पैर को चोट तो नहीं लगी? यह सुनकर भृगु ऋषि समझ गए कि श्रीहरि ही सबसे बड़े देवता यही है।

यह सब माता लक्ष्मी देख रही थीं और वे अपने पति का अपमान सहन नहीं कर सकी और विष्णु को छोड़कर दूर चले गईं और तपस्या में बैठ गई। लंबे समय के बाद देवी लक्ष्मी ने शरीर त्याग दिया और पुन: एक दरिद्र ब्राह्मण के यहां जन्म लिया। जब विष्णु को यह ज्ञात हुआ तो वे माता लक्ष्मी से विवाह करने पहुंचे परंतु देवी लक्ष्मी के गरीब पिता ने विवाह के लिए विष्णु से काफी धन मांगा। लक्ष्मी के जाने के बाद विष्णु के पास इतना धन नहीं था। तब देवी लक्ष्मी से विवाह के लिए उन्होंने देवताओं के कोषाध्यक्ष कुबेरदेव से धन उधार लिया। इस उधार लिए धन की वजह से विष्णु-लक्ष्मी का पुन: विवाह हो सका। कुबेर देव धन चुकाने के संबंध में यह शर्त रख दी कि जब तक मेरा कर्ज नहीं उतर जाता आप माता लक्ष्मी के साथ केरल में रहेंगे। बस तभी से तिरूपति अर्थात् भगवान विष्णु वहां विराजित हैं।

कुबेर से लिए गए उधार धन को उतारने के लिए भगवान के भक्तों द्वारा तिरूपति में धन चढ़ाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि यह कुबेर देव को प्राप्त होता है और भगवान विष्णु का कर्ज कम होता है।

सरस्वती मंत्र

शास्त्र कहते हैं कि लक्ष्मी का वास वहां होता है, जहां सम्पतियां रहती है। यहां सम्पत्तियों का अर्थ मात्र धन-दौलत, भूमि, मकान से ही नहीं बल्कि उन गुण, कलाओं और विद्या से भी है, जिनके द्वारा आचरण व विचार पवित्र होते हैं।
विद्या, ज्ञान, कला, बुद्धि रूपी ऐसी ही संपत्तियों से समृद्ध करने वाली देवी के रूप में माता सरस्वती पूजनीय है। यही कारण है कि दीपावली पर भी महालक्ष्मी के साथ महासरस्वी पूजा भी शुभ मानी गई है। संदेश यही है कि विद्या और ज्ञान में दक्षता से लक्ष्मी कृपा यानी धन, वैभव, यश भी प्राप्त होने लगता है।
दीपावली के अलावा देवी सरस्वती की शुक्रवार या पंचमी तिथि पर उपासना भी शुभ मानी जाती है। किंतु यश व सफलता की कामना से देवी का एक विशेष मंत्र इन सभी घडिय़ों के साथ हर रोज देवी सरस्वती की पंचोपचार पूजा या धूप, दीप लगाकर भी स्मरण किया जाए तो मनोरथ पूरे करने वाला माना गया है।
- सुबह स्नान के बाद देवी सरस्वती की प्रतिमा या तस्वीर की पंचोपचार पूजा में सफेद या केसिरया चंदन, अक्षत, पीले या सफेद फूल व दूध या मिठाई का भोग लगाकर नीचे लिखे सरल सरस्वती मंत्र का स्मरण कम से कम 108 बार स्फटिक या चंदन की माला या मन ही मन करें -
ऊँ सौं सरस्वत्यै नम:
या
ऊँ ह्रीं सरस्वत्यै नम:
- मंत्र स्मरण के साथ या बाद में धूप व दीप द्वारा देवी सरस्वती की आरती कर सद्बुद्धि और समृद्धि की कामना करें।
Wednesday, October 12, 2011

धन प्राप्ति के लिए यह टोटका

तंत्र शास्त्र के अंतर्गत धन प्राप्ति के टोने-टोटकों के लिए कुछ विशेष मुहूर्त बताए गए हैं जैसे-दीपावली, धनतेरस व अक्षय तृतीया आदि। इस समय किए गए टोने-टोटके विशेष लाभ देते हैं। इस बार दीपावली का त्योहार 26 अक्टूबर को है। टोने-टोटके के लिए यह विशेष समय है। धन प्राप्ति के लिए इस दिन यह टोटका करें-

टोटका

दीपावली की रात को साधक लाल लंगोट पहनकर, लाल आसन पर खड़ा होकर, सिंदूर का तिलक लगाकर लक्ष्मी यंत्र को अपनी बाईं हथेली में ले और दाएं हाथ में कमल गट्टे या स्फटिक की माला लेकर नीचे लिखे मंत्र का 21 माला जप करें।

मंत्र

अघोर लक्ष्मी मम गृहे आगच्छ स्थापय तुष्टय पूर्णत्व देहि देहि फट्



इस प्रकार पूरे विधि-विधान से यदि मंत्र का जप करें तो शीघ्र ही व्यक्ति धनवान हो जाता है। इसमें कोई शंका नहीं है।
Monday, October 10, 2011

नोटों से पर्स भरा रखना हो तो ये चीजें तुरंत हटा दे, क्योंकि

रुपए या नोटों को सुरक्षित और व्यवस्थित रखने का कार्य हमारे पर्स बखूबी निभाते हें। हर परिस्थिति में आपके नोट पर्स में सही ढंग से रखे रहते हैं। जिससे उनके कटने या फटने का डर नहीं रहता। पर्स में पैसा रखा जाता है अत: इस संबंध में वास्तु द्वारा कई महत्वपूर्ण टिप्स दी गई हैं। जिन्हें अपनाने पर व्यक्ति को भी धन की कमी का एहसास ही नहीं होता है।

हमारे जीवन से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण बातों का संबंध वास्तु से है। वास्तु शास्त्र हमारे आसपास फैली सकारात्मक और नकारात्मक ऊर्जा के सिद्धांतों पर कार्य करता है। जो वस्तु नकारात्मक ऊर्जा फैलाती हैं उन्हें हमारे आसपास से हटा देना चाहिए। क्योंकि इनसे हमारे सुख और कमाई पर बुरा प्रभाव पड़ता है। आय बढ़ाने या फिजूल खर्चों में कमी करने के लिए पर्स का वास्तु भी ठीक करने की आवश्यकता होती है। पर्स में सिक्के और नोट दोनों को ही अलग-अलग स्थानों पर रखना चाहिए। इसके अलावा पर्स में मृत व्यक्तियों के चित्र रखना भी शुभ नहीं माना जाता है। अत: इस प्रकार के चित्रों को भी पर्स में नोटों के साथ नहीं रखें। पर्स में संत-महात्मा के चित्र रखे जा सकते हैं। यदि कोई संत या महात्मा देह त्याग चुके हैं तब भी उनके चित्र या फोटो पर्स रखे जा सकते हैं क्योंकि शास्त्रों के अनुसार देह त्यागने के बाद भी संत-महात्माओं को मृत नहीं माना जाता है। कुछ लोग पर्स में ही चाबियां भी रखते हैं, चाबियां रखना भी अशुभ ही माना जाता है। इन्हें भी रुपए-पैसों से अलग ही रखना शुभ रहता है। पर्स में नोट या सिक्कों के साथ खाने की चीजें भी नहीं रखना चाहिए।

वास्तु के अनुसार पर्स में ऐसे वस्तुएं हरगिज न रखें जो नकारात्मक ऊर्जा को संचारित करती हैं। पर्स में किसी भी प्रकार के बिल या भुगतान से संबंधित कागज नहीं रखने चाहिए। इसके लिए पर्स में किसी भी प्रकार की अपवित्र वस्तु भी न रखें। जो वस्तुएं फिजूल हैं, जिनका कोई उपयोग नहीं है उन वस्तुएं तुरंत ही पर्स से बाहर कर दें। इनके अतिरिक्त पर्स में धार्मिक और पवित्र वस्तुएं रखें, जिनसे सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है और जिन्हें देखकर हमारा मन प्रसन्न होता है।

नहाते वक्त बोलें बस यह 1 मंत्र..बन जाएंगे अकूत धन-दौलत के स्वामी

जीवन की जरूरतों व दायित्वों की पूर्ति में धन की अहम भूमिका को नकारा नहीं जा सकता है। यही कारण है कि सांसारिक जीवन में धर्म-कर्म के साथ अर्थ की कामना भी किसी न किसी रूप में जुड़ी होती है। यही कारण है कि धन संपन्नता के प्रयास हर कोई गुण-शक्तियों के मुताबिक करता है।

वहीं धर्मशास्त्रों के नजरिए से धनवान बनने का अर्थ मात्र अधिक से अधिक धन बंटोरना मात्र नहीं है। बल्कि धन के साथ गुणी होना भी असल दौलतमंद माना गया है। इसके  बिना पाया धन भी यश व सुख नहीं देता। गुणवान बन धन प्राप्ति की राह आसान बनाने के लिए शास्त्रों में तन व मन की पवित्रता का महत्व बताया गया है।

शास्त्रों के मुताबिक प्रात: स्नान ऐसा आसान उपाय है, जो तन के साथ मन को पवित्र कर देता है। क्योंकि सेहतमंद शरीर ही मन को भी सबल रखता है। जिससे व्यक्ति मानसिक व वैचारिक स्तर पर मजबूत व पावन बन आसानी से मनचाही सफलता व मुकाम हासिल कर वैभवशाली जीवन जी सकता है।

ऐसे ही गुण और धन संपन्न बनने के लिये शास्त्रों में नहाते वक्त पावनता की प्रतीक गंगा को विशेष मंत्र से स्मरण का महत्व बताया गया है। मान्यता है कि इससे त्रिदेव, यानी ब्रह्मा, विष्णु व महेश का भी स्मरण हो जाता है। क्योंकि किसी न किसी रूप में गंगा तीनों ही देवताओं की प्रिय है। जानते हैं यह मंत्र -

ब्रह्मकुण्डली, विष्णुपादोदकी, जटाशंकरी, भागीरथी, जाह्नवी।

धार्मिक आस्था है कि इस मंत्र के साथ स्नान करने वाला कर्म, वचन और व्यवहार में गंगा की पावनता के साथ त्रिदेवों की भी गुण व शक्ति रूपी दौलत से संपन्न हो जाता है।

इस सूर्य मंत्र से करें रविवार की शुरुआत..आने वाले दिन होंगे सफलता से भरे

जल्द से जल्द तरक्की व सीढ़ी-दर-सीढ़ी सफलता का मुकाम हासिल करने के लिए अहम होता है कि आप अपनी ऊर्जा, शक्ति और समय का उपयोग या यूं कहें कि प्रबंधन कितना सही तरीके से करते हैं। चूंकि आज का युग मशीनी है। कार्यभार से शरीर भी लगातार चलने वाली मशीन बन जाता है। जिससे एक वक्त बाद निश्चित रूप से वह कुछ देर रुककर ऊर्जा की मांग करता है।

रविवार एक ऐसा ही दिन है, जो व्यावहारिक रूप से अवकाश व आराम का दिन तो होता ही है, किंतु धार्मिक दृष्टि से भी यश, प्रतिष्ठा व बेहतर स्वास्थ्य के लिए शक्ति व ऊर्जा संचय के लिए अहम होता है। क्योंकि इस दिन सूर्य पूजा का महत्व है।

शास्त्रों के मुताबिक रविवार को सूर्य पूजा या किसी भी रूप में सूर्य स्मरण निरोगी, वैभवशाली व यशस्वी जीवन देने वाला होता है। इसलिए यहां बताया जा रहा है एक सूर्य अर्घ्य व आसान मंत्र के स्मरण का उपाय। जिसे रविवार ही नहीं हर रोज अपनाना भी मंगलमय होता है। धार्मिक मान्यता है कि सूर्य को अर्घ्य से तीनों लोकों को जल दान का पुण्य प्राप्त होता है -

- सूर्योदय के पहले जागकर स्नान करें। स्वच्छ वस्त्र पहन सूर्योदय होने पर लाल फूल, कुमकुम मिले जल भरे तांबे के कलश से सूर्य को नीचे लिखा कोई भी मंत्र बोल तीन बार अर्घ्य दें -

श्री सूर्याय नम:

या

एहि सूर्य सहस्त्रांशो तेजोराशे जगत्पते।

अनुकम्पय मां भक्त्या गृहाणार्घ्यं दिवाकर:।।

- अर्घ्य के बाद धूप व दीप से आरती कर निरोगी, सुख-समृद्ध व सफल जीवन की कामना करें।

बस, 1 छोटी-सी बात..! बेहद खुशनुमा रखेगी घर-परिवार व कार्यक्षेत्र का माहौल

जीवन में कर्म की राह को सरल बनाने के लिए जरूरी है कि उसे बेहद रुचि, समर्पण, निष्ठा और एकाग्रता से किया जाए। सरल शब्दों में कर्मयोग के पीछे भी यही भाव है। किंतु परिवार और कार्यक्षेत्र या जीवन में किसी भी जिम्मेदारी को पूरा करने के दौरान कार्य में तरह-तरह की कठिनाईयों भी आती है। समय, साधन या आपसी संबंधों में तालमेल का अभाव भी तनाव पैदा कर कार्यक्षमता पर असर डालता है। इससे अनेक अवसरों पर मन-मस्तिष्क में बुरे विचार हावी होते हैं।

अंदर और बाहरी तौर पर ऐसी अशांत स्थिति से छुटकारा ही परिवार के लिये जरूरतों की पूर्ति व कार्यक्षेत्र में लक्ष्य पाने में सफल बनाता है। कर्म के दौरान अशांति और तनावों से बचने के लिए हिन्दू धर्मग्रंथ श्रीमद्भवदगीता में बताया एक सूत्र बेहद अहम साबित हो सकता है। जिसे जेहन में रखकर कार्य संपादन किया जाए तो न केवल व्यक्तिगत तनावों से बचा जा सकता है, बल्कि रिश्तों और संबंधों में नजदीकियां कायम रखी जा सकती हैं।

लिखा गया है कि -

मात्रस्पर्शास्तु कौन्तेय शीतोष्णसुखदु:खदा:।

आगमापायिनो नित्यास्तांस्तितिक्षस्व भारत।।

इस श्लोक का अर्थ है कि इन्द्रिय और विषयों द्वारा मिलने वाले सर्दी-गर्मी व सुख-दुख स्थायी नहीं, बल्कि आते-जाते रहते हैं। इसलिए उनको सहन करना चाहिए। इस बात में व्यावहारिक जीवन के लिये सीधा संकेत यही है कि सहिष्णुता, यानी सहनशीलता ही वह सूत्र है, जिससे हर तनावभरे व अप्रिय स्थितियों से आसानी से निकला जा सकता है। साथ ही यह समझ लें कि वक्त हमेशा एक समान नहीं रहता, यानी बदलाव प्रकृति का नियम है, इसे स्वीकार कर आगे बढ़ते रहें।

इन छोटे-से वराह मंत्रों से करें विष्णु का ध्यान..

गुण के साथ शक्ति का संयोग निर्णायक ही नहीं बल्कि हर बुराई की काट भी होता है। यही कारण है कि व्यावहारिक जीवन में गुण संपन्नता के लिए ज्ञान, तो ताकतवर बनने के लिए शरीर व मन से मजबूत होना अहम माना जाता है। ऐसा होने पर ही नि:स्वार्थ कर्म से भरा आचरण जीवन में यश व सफलता लाता है।

हिन्दू धर्म शास्त्रों के मुताबिक भगवान विष्णु ने जगत कल्याण के लिए ऐसे ही अनेक अवतार लिए। जिनमें वराह अवतार भी प्रमुख है। पौराणिक मान्यताओं में वराह, यानी सूकर के स्वरूप में वराह देव ने राक्षसराज हिरण्याक्ष का अंत कर पृथ्वी को मुक्त कराया व सृष्टि रचना व कल्याण की राह आसान की। यही कारण है कि वराह देव के रूप में विष्णु का ध्यान तमाम मुश्किल व विपरीत हालातों से छुटकारा देकर यशस्वी व सफल जीवन देने वाला माना गया है।

शास्त्रों में भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया वराह देव का जन्मकाल माना जाता है। किंतु विष्णु अवतार होने से एकादशी व द्वादशी के दिन वराह देव के आसान मंत्रों का ध्यान भी विष्णु स्मरण के समान फल देकर मंगलकारी माने गए हैं। जानते हैं ये आसान वराह मंत्र व पूजा की आसान विधि -

- यथासंभव व्रत का संकल्प के साथ प्रात: स्नान कर वराह देव की मूर्ति को गंगाजल से स्नान कराएं।

- वराह देव की पूजा में गंध, अक्षत, चंदन, पुष्प, तुलसी माला, पीले वस्त्र, सुपारी, फल व फल अर्पित कर दूध की मिठाई का नेवैद्य लगाएं।         

- पूजा के बाद वराह देव के इन विशेष व सरल मंत्रों का स्मरण सफल जीवन की कामना के साथ करें। तुलसी माला से जप करना भी शुभ होता है। मान्यता है कि ये मंत्र विशेष भगवान विष्णु के स्मरण का भी फल देकर धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष सभी कामनाएं पूरी करते हैं -

ऊँ वराहाय नम:

ऊँ सूकराय नम:

ऊँ धृतसूकररूपकेशवाय नम:

- पूजा व मंत्र जप के बाद वराहदेव की धूप, दीप व कपूर्र आरती करें। क्षमाप्रार्थना के साथ यथाशक्ति अन्न, धन किसी योग्य ब्राह्मण या गरीबों को दान करें।

मात्र 4 पंक्तियां..! देती है कमाल की दिमागी ताकत व कामयाबी

आज के युग में इंसान के जीवन पर भौतिकतावाद यानी सुख-सुविधाओं, वैभव की लालसा, अति महत्वाकांक्षाएं इतनी हावी है कि चाहे-अनचाहे हर इंसान इससे प्रभावित हुए बिना नहीं रहता। जिससे जीवन से जुड़ा भावनात्मक पक्ष दरकिनार हो जाता है। जबकि धर्म के नजरिए से सुखी और शांत जीवन के लिए भावनाओं और भौतिकता के बीच सही तालमेल बहुत जरूरी है।

इंसान चाहे परिवार में रहे, समाज में या कार्यक्षेत्र में सुख-सुविधाओं के मोह, स्वार्थ, या अति महत्वाकांक्षाओं के चलते संवेदनाओं व भावनाओं से दूर न जाए। क्योंकि भावनाएं जोडऩे वाली होती है, जिससे पारिवारिक व सामाजिक दायित्वों और कार्य के लक्ष्यों को पूरा करना बेहद आसान हो जाता है।

अच्छे-बुरे विचारों के निरंतर उतार-चढ़ाव लाने वाले प्रतियोगिता के इस दौर में भी भावनाओं को ऐसी ही ताकत देती हैं, धार्मिक कर्म के आखिर में बोले जाने वाली विशेष 4 पंक्तियां। धर्म भावों से ओतप्रोत ये मात्र 4 पंक्तियां व्यावहारिक जीवन में आने वाले हर मुश्किल वक्त, दुविधा और बुरे विचारों से छुटकारे का बेहद ही सरल उपाय भी है, जो असफलताओं का कारण भी है। जानते हैं ये 4 पंक्तियां -

धर्म की जय हो,

अधर्म का नाश हो,

प्राणियों में सद्भाव हो,

विश्व का कल्याण हो।

ये पंक्तियां धर्म की महिमा उजागर ही नहीं करती, बल्कि सफलता के लिए मनोबल को ऊंचा भी करती है। क्योंकि इसमें धर्म का जयकारा कार्य के प्रति सत्य, निष्ठा, समर्पण  तो अधर्म से दूरी ईर्ष्या, द्वेष, स्वार्थ से परे होने के लिए संकल्पित करती है। तीसरी पंक्ति सद्भाव यानी मेलजोल व तालमेल से कार्य व जीवन को साधने का सूत्र। कार्यक्षेत्र में इसे  टीम वर्क भी पुकारा जाता है। कल्याण यानी, पहली तीन बातों को संकल्प के साथ अपनाने पर लक्ष्य को जोरदार तरीके से भेदना व सफलता की ऊंचाईयों को छूना तय है।

शुक्रवार को बोलें बस, देवी के 32 नाम..दूर होगी पैसों की खींचतान

देवी दुर्गा दुर्गति का नाश करने वाली शक्ति के रूप में पूजनीय है। यही कारण है कि जीवन में तन, मन हो या धन का संकट देवी उपासना मंगलकारी मानी गई है। खासतौर पर व्यावहारिक जीवन में दायित्वों को पूरा करने के लिए शरीर व मन के साथ धन की भूमिका अहम होती है। जिसके बूते भी इंसान सम्मान, पद व सफलता का भागीदार बनता है।

यही कारण है कि शास्त्रों में शुक्रवार के दिन आदिशक्ति के स्मरण का एक बहुत ही आसान उपाय भी बताया गया है। यह है देवी दुर्गा के 32 नामों का स्मरण। इसके द्वारा देवी के तीन स्वरूपों महासरस्वती, महाकाली व महालक्ष्मी की प्रसन्नता ज्ञान, शक्ति देने के  साथ धन, ऐश्वर्य व वैभव की कामना भी पूरी करती है। यह नाम मंत्र स्मरण के रूप में भी जाना जाता है।

- शुक्रवार को सुबह व शाम देवी की पंचोपचार पूजा लाल चंदन, अक्षत, फूल व धूप, दीप आरती के बाद नीचे लिखें बत्तीस नामों का स्मरण करें - 

- दुर्गा

- दुर्गर्तिशमनी

- दुर्गापद्विनिवारिणी

- दुर्गमच्छेदिनी

- दुर्गसाधिनी

- दुर्गनाशिनी

- दुर्गतोद्धारिणी

- दुर्गनिहन्त्री

- दुर्गमापहा

- दुर्गमज्ञानदा

- दुर्गदैत्यलोकदवानला

- दुर्गमा

- दुर्गमालोका

- दुर्गमात्मस्वरूपिणी

- दुर्गमार्गप्रदा

- दुर्गमविद्या

- दुर्गमाश्रिता

- दुर्गमज्ञानसंस्थाना

- दुर्गमध्यानभासिनी

- दुर्गमोहा

- दुर्गमगा

- दुर्गमार्थस्वरूपिणी

- दुर्गमासुरसंहन्त्री

- दुर्गमायुधधारिणी

- दुर्गमांगी

- दुर्गमता

- दुर्गम्या

- दुर्गमेश्वरी

- दुर्गभीमा

- दुर्गभामा

- दुर्गभा

- दुर्गदारिणी