About Me

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हर जगह ये पूछा जाता है कि अपने बारे मे बताइए (About me), हम ये सोचते है की जो हमें जानते है उन्हें अपने बारे मे बताना ग़लत होगा क्योंकि वो हमें जानते है और जो हमें नही जानते उन्हे हम बता कर क्या करेंगे की हम कौन है | जो हमें नही जानता क्या वो वाकई हमें जानना चाहता है और अगर जानना चाहता है तो उसे About me से हम क्या बताये क्योंकि हम समझते है बातचीत और मिलते रहने से आप एक दूसरे को बेहतर समझ सकते हो About Me से नही | वैसे एक बात और है हम अपने बारे मे बता भी नही सकते है क्योंकि हमें खुद नही पता की हम क्या है ? हम आज भी अपने आप की तलाश कर रहे है और आज तक ये नही जान पायें हैं की हम क्या है? अब तक का जीवन तो ये जानने मे ही बीत गया है की हमारे आस पास कौन अपना है और कौन पराया ? ये जीवन एक प्रश्न सा ज़रूर लगता है और इस प्रश्न को सुलझाने मे हम कभी ये नही सोच पाते है की हम कौन है? कुछ बातें सीखने को भी मिली जैसे आपका वजूद आपके स्वभाव या चरित्र से नही बल्कि आपके पास कितने पैसे है उससे निर्धारित होता है | कुछ लोग मिले जो कहते थे की वो रिश्तों को ज़्यादा अहमियत देते है लेकिन अंतत: ... बहुत कुछ है मन मे लिखने के लिए लेकिन कुछ बातें या यू कहें कुछ यादें आ जाती है और मन खट्टा कर जाती है तो कुछ लिख नही पाते हैं |

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Friday, February 3, 2012

घर व नौकरी से जुड़ा हर काम होगा सफल

भगवान विष्णु जगतपालक के रूप में पूजनीय है। दरअसल, विष्णु का स्वरूप, चरित्र व गुण जिम्मेदारियों को उठाने व सफलतापूर्वक पूरा करने की प्रेरणा देते हैं।
शेषशायी भगवान विष्णु के स्वरूप पर भी गौर करें तो जहां वे तामस रूप शेषनाग पर शयन करते हैं तो वहीं उनकी नाभि से प्रकट हुए रजोगुणी स्वरूप ब्रह्मदेव के दर्शन होते हैं। स्वयं विष्णु सत् गुणी व पालक स्वरूप हैं। इस तरह यह तामसी व राजसी वृत्तियों पर सत् गुणों से संतुलन व नियंत्रण की सीख है।
इसी से प्रेरणा लेकर व्यावहारिक जीवन में भी घर या नौकरी के दायित्वों को पूरा करने के लिए व्यक्ति, वक्त, स्थिति व पद के मुताबिक स्वभाव व व्यवहार को ढालकर कर हर काम में सुख-सफलता पाना संभव बनाया जा सकता है।
ऐसी ही भाव से विष्णु उपासना की शुभ तिथि एकादशी व शुक्रवार के संयोग में नीचे लिखे भगवान विष्णु की पूजा कर नीचे लिखा यह विष्णु मंत्र बोलें -
- स्नान के बाद यथासंभव पीले वस्त्र पहनें। पीले आसन पर बैठ भगवान विष्णु की प्रतिमा को पवित्र जल या पंचामृत से स्नान कराने के बाद पीला चंदन, पीले फूल, पीले रेशमी वस्त्र, पीले रंग की मिठाई, दूध या मक्खन से बनी मिठाई का भोग लगाकर पूजा करें। नीचे लिखे मंत्र का स्मरण कर चंदन धूप व गाय के घी का दीप लगा आरती करें व सफल व यशस्वी जीवन की कामना करें -
भक्तस्तुतो भक्तपर: कीर्तिद: कीर्तिवर्धन:।
कीर्तिर्दीप्ति: क्षमाकान्तिर्भक्तश्चैव दया परा।।

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