About Me

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हर जगह ये पूछा जाता है कि अपने बारे मे बताइए (About me), हम ये सोचते है की जो हमें जानते है उन्हें अपने बारे मे बताना ग़लत होगा क्योंकि वो हमें जानते है और जो हमें नही जानते उन्हे हम बता कर क्या करेंगे की हम कौन है | जो हमें नही जानता क्या वो वाकई हमें जानना चाहता है और अगर जानना चाहता है तो उसे About me से हम क्या बताये क्योंकि हम समझते है बातचीत और मिलते रहने से आप एक दूसरे को बेहतर समझ सकते हो About Me से नही | वैसे एक बात और है हम अपने बारे मे बता भी नही सकते है क्योंकि हमें खुद नही पता की हम क्या है ? हम आज भी अपने आप की तलाश कर रहे है और आज तक ये नही जान पायें हैं की हम क्या है? अब तक का जीवन तो ये जानने मे ही बीत गया है की हमारे आस पास कौन अपना है और कौन पराया ? ये जीवन एक प्रश्न सा ज़रूर लगता है और इस प्रश्न को सुलझाने मे हम कभी ये नही सोच पाते है की हम कौन है? कुछ बातें सीखने को भी मिली जैसे आपका वजूद आपके स्वभाव या चरित्र से नही बल्कि आपके पास कितने पैसे है उससे निर्धारित होता है | कुछ लोग मिले जो कहते थे की वो रिश्तों को ज़्यादा अहमियत देते है लेकिन अंतत: ... बहुत कुछ है मन मे लिखने के लिए लेकिन कुछ बातें या यू कहें कुछ यादें आ जाती है और मन खट्टा कर जाती है तो कुछ लिख नही पाते हैं |

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Thursday, January 19, 2012

हर रोज बोलें यह देवी मंत्र..होगी दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की व कमाई

दुर्गा उपासना मानसिक, शारीरिक या आत्मिक शक्तियों को पहचान व एकजुट कर समस्त सांसारिक, आध्यात्मिक सुखों को पाने की प्रेरणा है। सांसारिक जीवन में धन भी शक्ति संपन्न बनने का एक अहम जरिया माना जाता है। इसलिए धनवान हो या निर्धन हर इंसान अधिक से अधिक धन लाभ के साथ तरक्की की चाहत रखता है।

शास्त्रों के मुताबिक देवी दुर्गा ही संसार की रचना व संहार को नियत करने वाली शक्ति है। इसलिए हर इंसान जो सुख-समृद्धि, धन व सफलता की कामना रखता है, यहां बताए जा रहे आसान देवी मंत्र से शक्ति का आवाहन हर रोज या खासतौर पर शुक्रवार को जरूर करे -

- मंत्र स्मरण के पहले स्नान कर देवी प्रतिमा या तस्वीर को लाल गंध, अक्षत, फूल व प्रसाद अर्पित कर धूप व दीप लगाएं। इसके बाद नीचे लिखा देवी मंत्र मन ही मन स्मरण कर जल्द सफलता व तरक्की की कामना करें, आरती करें, प्रसाद ग्रहण करें व कार्य पर जाएं -

सृष्टिस्थिति विनाशानां शक्तिभूते सनातनि।

गुणाश्रये गुणमये नारायणि नमोस्तुते।।

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