About Me

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हर जगह ये पूछा जाता है कि अपने बारे मे बताइए (About me), हम ये सोचते है की जो हमें जानते है उन्हें अपने बारे मे बताना ग़लत होगा क्योंकि वो हमें जानते है और जो हमें नही जानते उन्हे हम बता कर क्या करेंगे की हम कौन है | जो हमें नही जानता क्या वो वाकई हमें जानना चाहता है और अगर जानना चाहता है तो उसे About me से हम क्या बताये क्योंकि हम समझते है बातचीत और मिलते रहने से आप एक दूसरे को बेहतर समझ सकते हो About Me से नही | वैसे एक बात और है हम अपने बारे मे बता भी नही सकते है क्योंकि हमें खुद नही पता की हम क्या है ? हम आज भी अपने आप की तलाश कर रहे है और आज तक ये नही जान पायें हैं की हम क्या है? अब तक का जीवन तो ये जानने मे ही बीत गया है की हमारे आस पास कौन अपना है और कौन पराया ? ये जीवन एक प्रश्न सा ज़रूर लगता है और इस प्रश्न को सुलझाने मे हम कभी ये नही सोच पाते है की हम कौन है? कुछ बातें सीखने को भी मिली जैसे आपका वजूद आपके स्वभाव या चरित्र से नही बल्कि आपके पास कितने पैसे है उससे निर्धारित होता है | कुछ लोग मिले जो कहते थे की वो रिश्तों को ज़्यादा अहमियत देते है लेकिन अंतत: ... बहुत कुछ है मन मे लिखने के लिए लेकिन कुछ बातें या यू कहें कुछ यादें आ जाती है और मन खट्टा कर जाती है तो कुछ लिख नही पाते हैं |

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Monday, January 2, 2012

अक्सर हर इंसान के जीवन में काम, हालात और स्वभाव के मुताबिक कम या ज्यादा तनाव मौजूद होता है। खासतौर पर आज के दौर में तनाव, अशांत जीवन का सबसे बड़ा कारण है। जिसकी जड़ में मन पर जरूरतों, इच्छाओं और महत्वाकांक्षाओं का हावी होना भी है।

ऐसे ही तनाव व उससे पैदा बेचैनी को दूर रखने के लिए यहां एक आसान उपाय बताया जा रहा है। जिससे आप न केवल तनाव पर काबू कर पाएंगे, बल्कि उससे पैदा हुए रोगों पर काबू पाकर जीवन को सुखी और शांत बनाने में भी सफल होंगे।

हिन्दू धर्मशास्त्रों में एक ऐसा अक्षर बताया गया है, जो ईश्वर का ही साक्षात् रूप माना जाता है और मंत्र भी। यह चमत्कारी अक्षर है - प्रणव यानी ॐ। यह एकाक्षर ब्रह्म भी कहलाता है। धार्मिक मान्यताओं में प्रणव मंत्र में त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु और शिव की सामूहिक शक्ति समाई है। यह गायत्री और वेद रूपी ज्ञान शक्ति का भी स्त्रोत माना गया है।

इसी कारण मान्यता है कि प्रणय यानी ॐ बोलने या ध्यान से शरीर, मन और विचारों पर शुभ प्रभाव होता है। वैज्ञानिक नजरिए से भी प्रणव मंत्र यानी ॐ बोलते वक्त पैदा हुई शब्द शक्ति और ऊर्जा के साथ शरीर के अंगों जैसे मुंह, नाक, गले और फेफड़ो से आने-जाने वाली शुद्ध वायु मानव शरीर के स्वास्थ्य के लिए जरूरी अनेक हार्मोन और खून के दबाव को नियंत्रित करती है।

इसके असर से मन-मस्तिष्क् शांत रहने के साथ ही खून के भी स्वच्छ होने से दिल भी सेहतमंद रहता है। जिससे मानसिक एकाग्रता व कार्य क्षमता बढ़ती है। व्यक्ति मानसिक और दिल की बीमारियों से मुक्त रहता है।

यह मंत्र आप घर या देवालय में विशेष देवता या इष्टदेव के मंत्र के साथ जप में, कार्यालय या आफिस जाते वक्त निजी वाहन में बैठकर मन ही मन यथाशक्ति बोलें। दूसरों की असुविधा का ख्याल रखते हुए उचित स्थान पर जोर से भी बोलना फायदेमंद होता है। इस मंत्र के दौरान मन में पवित्र भाव से इष्ट का ध्यान करते हुए बुद्धि की शुद्धि की कामना करें। 

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