Thursday, January 19, 2012
बोलें यह बृहस्पति कवच बनेंगे राजयोग
हिन्दू धर्मशास्त्रों के मुताबिक गुरु
बृहस्पति विद्या, भाषा, ज्ञान द्वारा निपुण व दक्ष बनाकर शाही सम्मान, पद व
प्रतिष्ठा भी नियत करने वाला होता है। अगर आप भी शासकीय पद या शिक्षा से
संबंधित किसी क्षेत्र में सफलता के इच्छुक है तो शास्त्रों में बताया यह
बृहस्पति कवच गुरुवार या हर रोज बोलना बहुत ही जल्द और मनचाहे फल देने वाला
होगा -
- गुरु बृहस्पति की प्रतिमा की गंध, अक्षत, फूल से पूजा कर धूप व दीप जला पीले आसन पर बैठ नीचे लिखा बृहस्पति कवच बोलें -
अभीष्टफलदं देवं सर्वज्ञं सुर पूजितम्।
अक्षमालाधरं शान्तं प्रणमामि बृहस्पतिम्।।
बृहस्पति: शिर: पातु ललाटं पातु में गुरु:।
कर्णौ सुरुगुरु: पातु नेत्रे मेंभीष्टदायक:।।
जिह्वां पातु सुराचायो नासां में वेदपारग:।
मुखं मे पातु सर्वज्ञो कण्ठं मे देवता शुभप्रद:।।
भुजवाङ्गिरस: पातु करौ पातु शुभप्रद:।
स्तनौ मे पातु वागीश: कुक्षिं मे शुभलक्षण:।।
नाभिं देवगुरु: पातु मध्यं सुखप्रद:।
कटिं पातु जगदवन्द्य: ऊरू मे पातु वाक्पति:।।
जानु जङ्गे सुराचायो पादौ विश्वात्मकस्तथा।
अन्यानि यानि चाङ्गानि रक्षेन् मे सर्वतोगुरु:।।
इत्येतत कवचं दिव्यं त्रिसन्ध्यं य: पठेन्नर:।
सर्वान् कामानवाप्नोति सर्वत्र विजयी भवेत्।।
- गुरु बृहस्पति की प्रतिमा की गंध, अक्षत, फूल से पूजा कर धूप व दीप जला पीले आसन पर बैठ नीचे लिखा बृहस्पति कवच बोलें -
अभीष्टफलदं देवं सर्वज्ञं सुर पूजितम्।
अक्षमालाधरं शान्तं प्रणमामि बृहस्पतिम्।।
बृहस्पति: शिर: पातु ललाटं पातु में गुरु:।
कर्णौ सुरुगुरु: पातु नेत्रे मेंभीष्टदायक:।।
जिह्वां पातु सुराचायो नासां में वेदपारग:।
मुखं मे पातु सर्वज्ञो कण्ठं मे देवता शुभप्रद:।।
भुजवाङ्गिरस: पातु करौ पातु शुभप्रद:।
स्तनौ मे पातु वागीश: कुक्षिं मे शुभलक्षण:।।
नाभिं देवगुरु: पातु मध्यं सुखप्रद:।
कटिं पातु जगदवन्द्य: ऊरू मे पातु वाक्पति:।।
जानु जङ्गे सुराचायो पादौ विश्वात्मकस्तथा।
अन्यानि यानि चाङ्गानि रक्षेन् मे सर्वतोगुरु:।।
इत्येतत कवचं दिव्यं त्रिसन्ध्यं य: पठेन्नर:।
सर्वान् कामानवाप्नोति सर्वत्र विजयी भवेत्।।
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