Monday, January 2, 2012
ॐ
अक्सर हर इंसान के जीवन में काम, हालात
और स्वभाव के मुताबिक कम या ज्यादा तनाव मौजूद होता है। खासतौर पर आज के
दौर में तनाव, अशांत जीवन का सबसे बड़ा कारण है। जिसकी जड़ में मन पर
जरूरतों, इच्छाओं और महत्वाकांक्षाओं का हावी होना भी है।
ऐसे ही तनाव व उससे पैदा बेचैनी को दूर रखने के लिए यहां एक आसान उपाय बताया जा रहा है। जिससे आप न केवल तनाव पर काबू कर पाएंगे, बल्कि उससे पैदा हुए रोगों पर काबू पाकर जीवन को सुखी और शांत बनाने में भी सफल होंगे।
हिन्दू धर्मशास्त्रों में एक ऐसा अक्षर बताया गया है, जो ईश्वर का ही साक्षात् रूप माना जाता है और मंत्र भी। यह चमत्कारी अक्षर है - प्रणव यानी ॐ। यह एकाक्षर ब्रह्म भी कहलाता है। धार्मिक मान्यताओं में प्रणव मंत्र में त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु और शिव की सामूहिक शक्ति समाई है। यह गायत्री और वेद रूपी ज्ञान शक्ति का भी स्त्रोत माना गया है।
इसी कारण मान्यता है कि प्रणय यानी ॐ बोलने या ध्यान से शरीर, मन और विचारों पर शुभ प्रभाव होता है। वैज्ञानिक नजरिए से भी प्रणव मंत्र यानी ॐ बोलते वक्त पैदा हुई शब्द शक्ति और ऊर्जा के साथ शरीर के अंगों जैसे मुंह, नाक, गले और फेफड़ो से आने-जाने वाली शुद्ध वायु मानव शरीर के स्वास्थ्य के लिए जरूरी अनेक हार्मोन और खून के दबाव को नियंत्रित करती है।
इसके असर से मन-मस्तिष्क् शांत रहने के साथ ही खून के भी स्वच्छ होने से दिल भी सेहतमंद रहता है। जिससे मानसिक एकाग्रता व कार्य क्षमता बढ़ती है। व्यक्ति मानसिक और दिल की बीमारियों से मुक्त रहता है।
यह मंत्र आप घर या देवालय में विशेष देवता या इष्टदेव के मंत्र के साथ जप में, कार्यालय या आफिस जाते वक्त निजी वाहन में बैठकर मन ही मन यथाशक्ति बोलें। दूसरों की असुविधा का ख्याल रखते हुए उचित स्थान पर जोर से भी बोलना फायदेमंद होता है। इस मंत्र के दौरान मन में पवित्र भाव से इष्ट का ध्यान करते हुए बुद्धि की शुद्धि की कामना करें।
ऐसे ही तनाव व उससे पैदा बेचैनी को दूर रखने के लिए यहां एक आसान उपाय बताया जा रहा है। जिससे आप न केवल तनाव पर काबू कर पाएंगे, बल्कि उससे पैदा हुए रोगों पर काबू पाकर जीवन को सुखी और शांत बनाने में भी सफल होंगे।
हिन्दू धर्मशास्त्रों में एक ऐसा अक्षर बताया गया है, जो ईश्वर का ही साक्षात् रूप माना जाता है और मंत्र भी। यह चमत्कारी अक्षर है - प्रणव यानी ॐ। यह एकाक्षर ब्रह्म भी कहलाता है। धार्मिक मान्यताओं में प्रणव मंत्र में त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु और शिव की सामूहिक शक्ति समाई है। यह गायत्री और वेद रूपी ज्ञान शक्ति का भी स्त्रोत माना गया है।
इसी कारण मान्यता है कि प्रणय यानी ॐ बोलने या ध्यान से शरीर, मन और विचारों पर शुभ प्रभाव होता है। वैज्ञानिक नजरिए से भी प्रणव मंत्र यानी ॐ बोलते वक्त पैदा हुई शब्द शक्ति और ऊर्जा के साथ शरीर के अंगों जैसे मुंह, नाक, गले और फेफड़ो से आने-जाने वाली शुद्ध वायु मानव शरीर के स्वास्थ्य के लिए जरूरी अनेक हार्मोन और खून के दबाव को नियंत्रित करती है।
इसके असर से मन-मस्तिष्क् शांत रहने के साथ ही खून के भी स्वच्छ होने से दिल भी सेहतमंद रहता है। जिससे मानसिक एकाग्रता व कार्य क्षमता बढ़ती है। व्यक्ति मानसिक और दिल की बीमारियों से मुक्त रहता है।
यह मंत्र आप घर या देवालय में विशेष देवता या इष्टदेव के मंत्र के साथ जप में, कार्यालय या आफिस जाते वक्त निजी वाहन में बैठकर मन ही मन यथाशक्ति बोलें। दूसरों की असुविधा का ख्याल रखते हुए उचित स्थान पर जोर से भी बोलना फायदेमंद होता है। इस मंत्र के दौरान मन में पवित्र भाव से इष्ट का ध्यान करते हुए बुद्धि की शुद्धि की कामना करें।
0 comments:
Post a Comment