Thursday, October 13, 2011
सरस्वती मंत्र
शास्त्र कहते हैं कि लक्ष्मी का वास वहां होता है, जहां सम्पतियां रहती है। यहां सम्पत्तियों का अर्थ मात्र धन-दौलत, भूमि, मकान से ही नहीं बल्कि उन गुण, कलाओं और विद्या से भी है, जिनके द्वारा आचरण व विचार पवित्र होते हैं।
विद्या, ज्ञान, कला, बुद्धि रूपी ऐसी ही संपत्तियों से समृद्ध करने वाली देवी के रूप में माता सरस्वती पूजनीय है। यही कारण है कि दीपावली पर भी महालक्ष्मी के साथ महासरस्वी पूजा भी शुभ मानी गई है। संदेश यही है कि विद्या और ज्ञान में दक्षता से लक्ष्मी कृपा यानी धन, वैभव, यश भी प्राप्त होने लगता है।
दीपावली के अलावा देवी सरस्वती की शुक्रवार या पंचमी तिथि पर उपासना भी शुभ मानी जाती है। किंतु यश व सफलता की कामना से देवी का एक विशेष मंत्र इन सभी घडिय़ों के साथ हर रोज देवी सरस्वती की पंचोपचार पूजा या धूप, दीप लगाकर भी स्मरण किया जाए तो मनोरथ पूरे करने वाला माना गया है।
- सुबह स्नान के बाद देवी सरस्वती की प्रतिमा या तस्वीर की पंचोपचार पूजा में सफेद या केसिरया चंदन, अक्षत, पीले या सफेद फूल व दूध या मिठाई का भोग लगाकर नीचे लिखे सरल सरस्वती मंत्र का स्मरण कम से कम 108 बार स्फटिक या चंदन की माला या मन ही मन करें -
ऊँ सौं सरस्वत्यै नम:
या
ऊँ ह्रीं सरस्वत्यै नम:
- मंत्र स्मरण के साथ या बाद में धूप व दीप द्वारा देवी सरस्वती की आरती कर सद्बुद्धि और समृद्धि की कामना करें।
विद्या, ज्ञान, कला, बुद्धि रूपी ऐसी ही संपत्तियों से समृद्ध करने वाली देवी के रूप में माता सरस्वती पूजनीय है। यही कारण है कि दीपावली पर भी महालक्ष्मी के साथ महासरस्वी पूजा भी शुभ मानी गई है। संदेश यही है कि विद्या और ज्ञान में दक्षता से लक्ष्मी कृपा यानी धन, वैभव, यश भी प्राप्त होने लगता है।
दीपावली के अलावा देवी सरस्वती की शुक्रवार या पंचमी तिथि पर उपासना भी शुभ मानी जाती है। किंतु यश व सफलता की कामना से देवी का एक विशेष मंत्र इन सभी घडिय़ों के साथ हर रोज देवी सरस्वती की पंचोपचार पूजा या धूप, दीप लगाकर भी स्मरण किया जाए तो मनोरथ पूरे करने वाला माना गया है।
- सुबह स्नान के बाद देवी सरस्वती की प्रतिमा या तस्वीर की पंचोपचार पूजा में सफेद या केसिरया चंदन, अक्षत, पीले या सफेद फूल व दूध या मिठाई का भोग लगाकर नीचे लिखे सरल सरस्वती मंत्र का स्मरण कम से कम 108 बार स्फटिक या चंदन की माला या मन ही मन करें -
ऊँ सौं सरस्वत्यै नम:
या
ऊँ ह्रीं सरस्वत्यै नम:
- मंत्र स्मरण के साथ या बाद में धूप व दीप द्वारा देवी सरस्वती की आरती कर सद्बुद्धि और समृद्धि की कामना करें।
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