Monday, October 10, 2011
नहाते वक्त बोलें बस यह 1 मंत्र..बन जाएंगे अकूत धन-दौलत के स्वामी
जीवन की जरूरतों व दायित्वों की पूर्ति में धन की अहम भूमिका को नकारा नहीं जा सकता है। यही कारण है कि सांसारिक जीवन में धर्म-कर्म के साथ अर्थ की कामना भी किसी न किसी रूप में जुड़ी होती है। यही कारण है कि धन संपन्नता के प्रयास हर कोई गुण-शक्तियों के मुताबिक करता है।
वहीं धर्मशास्त्रों के नजरिए से धनवान बनने का अर्थ मात्र अधिक से अधिक धन बंटोरना मात्र नहीं है। बल्कि धन के साथ गुणी होना भी असल दौलतमंद माना गया है। इसके बिना पाया धन भी यश व सुख नहीं देता। गुणवान बन धन प्राप्ति की राह आसान बनाने के लिए शास्त्रों में तन व मन की पवित्रता का महत्व बताया गया है।
शास्त्रों के मुताबिक प्रात: स्नान ऐसा आसान उपाय है, जो तन के साथ मन को पवित्र कर देता है। क्योंकि सेहतमंद शरीर ही मन को भी सबल रखता है। जिससे व्यक्ति मानसिक व वैचारिक स्तर पर मजबूत व पावन बन आसानी से मनचाही सफलता व मुकाम हासिल कर वैभवशाली जीवन जी सकता है।
ऐसे ही गुण और धन संपन्न बनने के लिये शास्त्रों में नहाते वक्त पावनता की प्रतीक गंगा को विशेष मंत्र से स्मरण का महत्व बताया गया है। मान्यता है कि इससे त्रिदेव, यानी ब्रह्मा, विष्णु व महेश का भी स्मरण हो जाता है। क्योंकि किसी न किसी रूप में गंगा तीनों ही देवताओं की प्रिय है। जानते हैं यह मंत्र -
ब्रह्मकुण्डली, विष्णुपादोदकी, जटाशंकरी, भागीरथी, जाह्नवी।
धार्मिक आस्था है कि इस मंत्र के साथ स्नान करने वाला कर्म, वचन और व्यवहार में गंगा की पावनता के साथ त्रिदेवों की भी गुण व शक्ति रूपी दौलत से संपन्न हो जाता है।
वहीं धर्मशास्त्रों के नजरिए से धनवान बनने का अर्थ मात्र अधिक से अधिक धन बंटोरना मात्र नहीं है। बल्कि धन के साथ गुणी होना भी असल दौलतमंद माना गया है। इसके बिना पाया धन भी यश व सुख नहीं देता। गुणवान बन धन प्राप्ति की राह आसान बनाने के लिए शास्त्रों में तन व मन की पवित्रता का महत्व बताया गया है।
शास्त्रों के मुताबिक प्रात: स्नान ऐसा आसान उपाय है, जो तन के साथ मन को पवित्र कर देता है। क्योंकि सेहतमंद शरीर ही मन को भी सबल रखता है। जिससे व्यक्ति मानसिक व वैचारिक स्तर पर मजबूत व पावन बन आसानी से मनचाही सफलता व मुकाम हासिल कर वैभवशाली जीवन जी सकता है।
ऐसे ही गुण और धन संपन्न बनने के लिये शास्त्रों में नहाते वक्त पावनता की प्रतीक गंगा को विशेष मंत्र से स्मरण का महत्व बताया गया है। मान्यता है कि इससे त्रिदेव, यानी ब्रह्मा, विष्णु व महेश का भी स्मरण हो जाता है। क्योंकि किसी न किसी रूप में गंगा तीनों ही देवताओं की प्रिय है। जानते हैं यह मंत्र -
ब्रह्मकुण्डली, विष्णुपादोदकी, जटाशंकरी, भागीरथी, जाह्नवी।
धार्मिक आस्था है कि इस मंत्र के साथ स्नान करने वाला कर्म, वचन और व्यवहार में गंगा की पावनता के साथ त्रिदेवों की भी गुण व शक्ति रूपी दौलत से संपन्न हो जाता है।
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