Monday, October 10, 2011
इन छोटे-से वराह मंत्रों से करें विष्णु का ध्यान..
गुण के साथ शक्ति का संयोग निर्णायक ही नहीं बल्कि हर बुराई की काट भी होता है। यही कारण है कि व्यावहारिक जीवन में गुण संपन्नता के लिए ज्ञान, तो ताकतवर बनने के लिए शरीर व मन से मजबूत होना अहम माना जाता है। ऐसा होने पर ही नि:स्वार्थ कर्म से भरा आचरण जीवन में यश व सफलता लाता है।
हिन्दू धर्म शास्त्रों के मुताबिक भगवान विष्णु ने जगत कल्याण के लिए ऐसे ही अनेक अवतार लिए। जिनमें वराह अवतार भी प्रमुख है। पौराणिक मान्यताओं में वराह, यानी सूकर के स्वरूप में वराह देव ने राक्षसराज हिरण्याक्ष का अंत कर पृथ्वी को मुक्त कराया व सृष्टि रचना व कल्याण की राह आसान की। यही कारण है कि वराह देव के रूप में विष्णु का ध्यान तमाम मुश्किल व विपरीत हालातों से छुटकारा देकर यशस्वी व सफल जीवन देने वाला माना गया है।
शास्त्रों में भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया वराह देव का जन्मकाल माना जाता है। किंतु विष्णु अवतार होने से एकादशी व द्वादशी के दिन वराह देव के आसान मंत्रों का ध्यान भी विष्णु स्मरण के समान फल देकर मंगलकारी माने गए हैं। जानते हैं ये आसान वराह मंत्र व पूजा की आसान विधि -
- यथासंभव व्रत का संकल्प के साथ प्रात: स्नान कर वराह देव की मूर्ति को गंगाजल से स्नान कराएं।
- वराह देव की पूजा में गंध, अक्षत, चंदन, पुष्प, तुलसी माला, पीले वस्त्र, सुपारी, फल व फल अर्पित कर दूध की मिठाई का नेवैद्य लगाएं।
- पूजा के बाद वराह देव के इन विशेष व सरल मंत्रों का स्मरण सफल जीवन की कामना के साथ करें। तुलसी माला से जप करना भी शुभ होता है। मान्यता है कि ये मंत्र विशेष भगवान विष्णु के स्मरण का भी फल देकर धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष सभी कामनाएं पूरी करते हैं -
ऊँ वराहाय नम:
ऊँ सूकराय नम:
ऊँ धृतसूकररूपकेशवाय नम:
- पूजा व मंत्र जप के बाद वराहदेव की धूप, दीप व कपूर्र आरती करें। क्षमाप्रार्थना के साथ यथाशक्ति अन्न, धन किसी योग्य ब्राह्मण या गरीबों को दान करें।
हिन्दू धर्म शास्त्रों के मुताबिक भगवान विष्णु ने जगत कल्याण के लिए ऐसे ही अनेक अवतार लिए। जिनमें वराह अवतार भी प्रमुख है। पौराणिक मान्यताओं में वराह, यानी सूकर के स्वरूप में वराह देव ने राक्षसराज हिरण्याक्ष का अंत कर पृथ्वी को मुक्त कराया व सृष्टि रचना व कल्याण की राह आसान की। यही कारण है कि वराह देव के रूप में विष्णु का ध्यान तमाम मुश्किल व विपरीत हालातों से छुटकारा देकर यशस्वी व सफल जीवन देने वाला माना गया है।
शास्त्रों में भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया वराह देव का जन्मकाल माना जाता है। किंतु विष्णु अवतार होने से एकादशी व द्वादशी के दिन वराह देव के आसान मंत्रों का ध्यान भी विष्णु स्मरण के समान फल देकर मंगलकारी माने गए हैं। जानते हैं ये आसान वराह मंत्र व पूजा की आसान विधि -
- यथासंभव व्रत का संकल्प के साथ प्रात: स्नान कर वराह देव की मूर्ति को गंगाजल से स्नान कराएं।
- वराह देव की पूजा में गंध, अक्षत, चंदन, पुष्प, तुलसी माला, पीले वस्त्र, सुपारी, फल व फल अर्पित कर दूध की मिठाई का नेवैद्य लगाएं।
- पूजा के बाद वराह देव के इन विशेष व सरल मंत्रों का स्मरण सफल जीवन की कामना के साथ करें। तुलसी माला से जप करना भी शुभ होता है। मान्यता है कि ये मंत्र विशेष भगवान विष्णु के स्मरण का भी फल देकर धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष सभी कामनाएं पूरी करते हैं -
ऊँ वराहाय नम:
ऊँ सूकराय नम:
ऊँ धृतसूकररूपकेशवाय नम:
- पूजा व मंत्र जप के बाद वराहदेव की धूप, दीप व कपूर्र आरती करें। क्षमाप्रार्थना के साथ यथाशक्ति अन्न, धन किसी योग्य ब्राह्मण या गरीबों को दान करें।
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