Tuesday, February 28, 2012
चमत्कारी हैं इस पेड़ के पत्ते
शास्त्रों के अनुसार तीनों देवों ब्रह्मा, विष्णु और महेश में सर्वश्रेष्ठ महेश अर्थात् शिव को कई प्रकार की पूजन सामग्री अर्पित की जाती हैं। इनमें सर्वाधिक महत्वपूर्ण सामग्रियों में फूल और पत्तियां भी शामिल हैं। भोलेनाथ को बिल्व पत्र चढ़ाने का विधान है। ऐसा माना जाता है मात्र बिल्व के पेड़ पत्तियां चढ़ाने से महादेव भक्त से प्रसन्न हो जाते हैं। इसी वजह से इन बिल्व पत्रों को चमत्कारिक माना जाता है।
भोलेनाथ को प्रतिदिन बिल्व चढ़ाने से भक्त को सभी सुख-सुविधाएं प्राप्त हो जाती हैं। बिल्व पत्र अर्पण करने से शिव का सामिप्य प्राप्त होता है। अर्थात् भक्त शिव निकट पहुंच जाता है। इन पत्तों का इतना अधिक महत्व होने के कारण ही शास्त्रों में इसके लिए कई प्रकार के नियम बनाए गए हैं। कुछ दिन और तिथियां बताई गई हैं जब इन पत्तों को नहीं तोडऩा चाहिए।
किसी भी माह की अष्टमी, चर्तुदशी, अमावस्या, पूर्णिमा तिथि पर बिल्व पत्र नहीं तोडऩा चाहिए। इसके अलावा सोमवार को बिल्व पत्र नहीं तोडऩा चाहिए। सोमवार शिव का प्रिय दिवस होता हैं। इन तिथियों और दिन पर बिल्व के पत्ते नहीं तोड़े जाने चाहिए अत: एक दिन पहले ही तोड़े हुए बिल्व पत्र पूजन में उपयोग लेना चाहिए। किसी भी दिन और तिथि पर खरीदकर लाया हुआ बिल्वपत्र हमेशा ही पूजन में शामिल किया जा सकता है।
भोलेनाथ को प्रतिदिन बिल्व चढ़ाने से भक्त को सभी सुख-सुविधाएं प्राप्त हो जाती हैं। बिल्व पत्र अर्पण करने से शिव का सामिप्य प्राप्त होता है। अर्थात् भक्त शिव निकट पहुंच जाता है। इन पत्तों का इतना अधिक महत्व होने के कारण ही शास्त्रों में इसके लिए कई प्रकार के नियम बनाए गए हैं। कुछ दिन और तिथियां बताई गई हैं जब इन पत्तों को नहीं तोडऩा चाहिए।
किसी भी माह की अष्टमी, चर्तुदशी, अमावस्या, पूर्णिमा तिथि पर बिल्व पत्र नहीं तोडऩा चाहिए। इसके अलावा सोमवार को बिल्व पत्र नहीं तोडऩा चाहिए। सोमवार शिव का प्रिय दिवस होता हैं। इन तिथियों और दिन पर बिल्व के पत्ते नहीं तोड़े जाने चाहिए अत: एक दिन पहले ही तोड़े हुए बिल्व पत्र पूजन में उपयोग लेना चाहिए। किसी भी दिन और तिथि पर खरीदकर लाया हुआ बिल्वपत्र हमेशा ही पूजन में शामिल किया जा सकता है।
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