Friday, February 3, 2012
घर व नौकरी से जुड़ा हर काम होगा सफल
भगवान विष्णु जगतपालक के रूप में पूजनीय है। दरअसल, विष्णु का स्वरूप, चरित्र व गुण जिम्मेदारियों को उठाने व सफलतापूर्वक पूरा करने की प्रेरणा देते हैं।
शेषशायी भगवान विष्णु के स्वरूप पर भी गौर करें तो जहां वे तामस रूप शेषनाग पर शयन करते हैं तो वहीं उनकी नाभि से प्रकट हुए रजोगुणी स्वरूप ब्रह्मदेव के दर्शन होते हैं। स्वयं विष्णु सत् गुणी व पालक स्वरूप हैं। इस तरह यह तामसी व राजसी वृत्तियों पर सत् गुणों से संतुलन व नियंत्रण की सीख है।
इसी से प्रेरणा लेकर व्यावहारिक जीवन में भी घर या नौकरी के दायित्वों को पूरा करने के लिए व्यक्ति, वक्त, स्थिति व पद के मुताबिक स्वभाव व व्यवहार को ढालकर कर हर काम में सुख-सफलता पाना संभव बनाया जा सकता है।
ऐसी ही भाव से विष्णु उपासना की शुभ तिथि एकादशी व शुक्रवार के संयोग में नीचे लिखे भगवान विष्णु की पूजा कर नीचे लिखा यह विष्णु मंत्र बोलें -
- स्नान के बाद यथासंभव पीले वस्त्र पहनें। पीले आसन पर बैठ भगवान विष्णु की प्रतिमा को पवित्र जल या पंचामृत से स्नान कराने के बाद पीला चंदन, पीले फूल, पीले रेशमी वस्त्र, पीले रंग की मिठाई, दूध या मक्खन से बनी मिठाई का भोग लगाकर पूजा करें। नीचे लिखे मंत्र का स्मरण कर चंदन धूप व गाय के घी का दीप लगा आरती करें व सफल व यशस्वी जीवन की कामना करें -
भक्तस्तुतो भक्तपर: कीर्तिद: कीर्तिवर्धन:।
कीर्तिर्दीप्ति: क्षमाकान्तिर्भक्तश्चैव दया परा।।
शेषशायी भगवान विष्णु के स्वरूप पर भी गौर करें तो जहां वे तामस रूप शेषनाग पर शयन करते हैं तो वहीं उनकी नाभि से प्रकट हुए रजोगुणी स्वरूप ब्रह्मदेव के दर्शन होते हैं। स्वयं विष्णु सत् गुणी व पालक स्वरूप हैं। इस तरह यह तामसी व राजसी वृत्तियों पर सत् गुणों से संतुलन व नियंत्रण की सीख है।
इसी से प्रेरणा लेकर व्यावहारिक जीवन में भी घर या नौकरी के दायित्वों को पूरा करने के लिए व्यक्ति, वक्त, स्थिति व पद के मुताबिक स्वभाव व व्यवहार को ढालकर कर हर काम में सुख-सफलता पाना संभव बनाया जा सकता है।
ऐसी ही भाव से विष्णु उपासना की शुभ तिथि एकादशी व शुक्रवार के संयोग में नीचे लिखे भगवान विष्णु की पूजा कर नीचे लिखा यह विष्णु मंत्र बोलें -
- स्नान के बाद यथासंभव पीले वस्त्र पहनें। पीले आसन पर बैठ भगवान विष्णु की प्रतिमा को पवित्र जल या पंचामृत से स्नान कराने के बाद पीला चंदन, पीले फूल, पीले रेशमी वस्त्र, पीले रंग की मिठाई, दूध या मक्खन से बनी मिठाई का भोग लगाकर पूजा करें। नीचे लिखे मंत्र का स्मरण कर चंदन धूप व गाय के घी का दीप लगा आरती करें व सफल व यशस्वी जीवन की कामना करें -
भक्तस्तुतो भक्तपर: कीर्तिद: कीर्तिवर्धन:।
कीर्तिर्दीप्ति: क्षमाकान्तिर्भक्तश्चैव दया परा।।
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