Monday, December 19, 2011
पैसों की कमी डाले खुशियों में खलल तो बोलें यह हनुमान मंत्र
संत शिरोमणी गोस्वामी तुलसीदास द्वारा
रचित श्री हनुमान चालीसा की इस चौपाई 'अष्टसिद्धि नवनिधि के दाता, अस बर
दीन जानकी माता।' संकटमोचक श्री हनुमान के शक्ति संपन्न होने के साथ ही
संपूर्ण वैभव के स्वामी व दाता होना भी उजागर करती है।
यही कारण है कि श्री हनुमान उपासना न केवल तन व मन को सशक्त बनाने वाली बल्कि धन के अभाव से आने वाले सारे संकट व बाधाओं को भी टालने वाली मानी गई है।
अगर आप भी पैसों की कमी से सुखों को बंटोरने में मुश्किलों का सामना कर रहें हैं तो नीचे लिखे विशेष हनुमान मंत्र का स्मरण मंगलवार या शनिश्चरी अमावस्या के मौके पर जरूर करें -
- मंगलवार या शनिवार को स्नान के बाद श्री हनुमान मंदिर या शनि मंदिर में स्थित सिंदूर का चोला चढ़ी श्री हनुमान की प्रतिमा को सिंदूर, चमेली का तेल, फूल, अक्षत, जनेऊ व नैवेद्य चढ़ाकर नीचे लिखा हनुमान मंत्र लाल आसन पर बैठ सुख-समृद्धि की कामना से बोलें-
ऊँ नमो हनुमते रुद्रावताराय भक्तजनमन: कल्पना-कल्पद्रुमाय
दुष्टमनोरथस्तम्भनाय प्रभंजन-प्राप्रियाय
महाबलपराक्रमाय महाविपत्तिनिवारणाय
पुत्रपौत्रधन-धान्यादि विविधसम्पतप्रदाय रामदूताय स्वाहा
- मंत्र स्मरण के बाद श्री हनुमान की गुग्गल धूप व दीप से आरती कर प्रसाद ग्रहण करें। श्री हनुमान के चरणों से थोड़ा सा सिंदूर लाकर घर के द्वार या देवालय में स्वस्तिक बनाएं।
यही कारण है कि श्री हनुमान उपासना न केवल तन व मन को सशक्त बनाने वाली बल्कि धन के अभाव से आने वाले सारे संकट व बाधाओं को भी टालने वाली मानी गई है।
अगर आप भी पैसों की कमी से सुखों को बंटोरने में मुश्किलों का सामना कर रहें हैं तो नीचे लिखे विशेष हनुमान मंत्र का स्मरण मंगलवार या शनिश्चरी अमावस्या के मौके पर जरूर करें -
- मंगलवार या शनिवार को स्नान के बाद श्री हनुमान मंदिर या शनि मंदिर में स्थित सिंदूर का चोला चढ़ी श्री हनुमान की प्रतिमा को सिंदूर, चमेली का तेल, फूल, अक्षत, जनेऊ व नैवेद्य चढ़ाकर नीचे लिखा हनुमान मंत्र लाल आसन पर बैठ सुख-समृद्धि की कामना से बोलें-
ऊँ नमो हनुमते रुद्रावताराय भक्तजनमन: कल्पना-कल्पद्रुमाय
दुष्टमनोरथस्तम्भनाय प्रभंजन-प्राप्रियाय
महाबलपराक्रमाय महाविपत्तिनिवारणाय
पुत्रपौत्रधन-धान्यादि विविधसम्पतप्रदाय रामदूताय स्वाहा
- मंत्र स्मरण के बाद श्री हनुमान की गुग्गल धूप व दीप से आरती कर प्रसाद ग्रहण करें। श्री हनुमान के चरणों से थोड़ा सा सिंदूर लाकर घर के द्वार या देवालय में स्वस्तिक बनाएं।
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