Friday, December 9, 2011
भगवान गणेश प्रथम पूज्य देवता
शास्त्रों के मुताबिक भगवान गणेश प्रथम
पूज्य देवता है। क्योंकि भगवान गणेश विघ्रहर्ता व बुद्धिदाता माने जाते
हैं। इसलिए गणेश पूजा किसी भी काम की पवित्र व अच्छे भावों के साथ शुभ व
मंगल शुरुआत, कार्य के दौरान भी विघ्रों से रक्षा और अच्छे नतीजों को भी
देने वाली मानी गई है।
इस तरह भगवान गणेश का नाम जीवन में कर्म और अच्छाई को अपनाने की प्रेरणा देता है। सांसारिक जीवन में भी जरूरतों व कामनाओं को पूरा करने के लिए इंसान हर दिन की बेहतर शुरुआत के साथ अपने कामों में मनचाही सफलता या नतीजों की कामना करता है।
शास्त्रों में हर रोज एक विशेष गणेश मंत्र बोलकर गणेश पूजा ऐसी ही शुभ कामनाओं को पूरा करने वाला बताया गया है। बुधवार या चतुर्थी को तो यह मंत्र स्मरण फल प्राप्ति के लिये अचूक है। इसी तरह शनिवार को यह शनि दोष दूर करता है। जानते हैं यह गणेश मंत्र और गणेश पूजा की सरल विधि-
- सुबह स्नान के बाद पवित्र होकर श्री गणेश की पूजा गंध, अक्षत, दूर्वा, पीले फूल, पीले वस्त्र, जनेऊ, गुड़, धनिया व मोदक का भोग अर्पित कर करें।
- पूजा के बाद भगवान श्री गणेश के इस मंत्र का स्मरण करें -
त्वमेव ब्रह्मा विष्णुश्र्च महेशो भानुरेव च।
त्वमेव पृथ्वी वायुरन्तरिक्षं दिशो द्रुमा:। पर्वतै: सहिता: सिद्धा गन्धर्वा यक्षराक्षसा:।।
मुनयो मानवाश्र्चापि स्थावरं जङ्गम जगत्। त्वमेव सर्वं देवेश सचेतनमचेतनम्।।
जन्मान्तरीययपुण्येन दृष्टोसि कश्यपात्मज।
- मंत्र स्मरण के बाद भगवान गणेश की आरती करें और घर में दीपज्योति फेराएं। प्रसाद ग्रहण करें।
इस तरह भगवान गणेश का नाम जीवन में कर्म और अच्छाई को अपनाने की प्रेरणा देता है। सांसारिक जीवन में भी जरूरतों व कामनाओं को पूरा करने के लिए इंसान हर दिन की बेहतर शुरुआत के साथ अपने कामों में मनचाही सफलता या नतीजों की कामना करता है।
शास्त्रों में हर रोज एक विशेष गणेश मंत्र बोलकर गणेश पूजा ऐसी ही शुभ कामनाओं को पूरा करने वाला बताया गया है। बुधवार या चतुर्थी को तो यह मंत्र स्मरण फल प्राप्ति के लिये अचूक है। इसी तरह शनिवार को यह शनि दोष दूर करता है। जानते हैं यह गणेश मंत्र और गणेश पूजा की सरल विधि-
- सुबह स्नान के बाद पवित्र होकर श्री गणेश की पूजा गंध, अक्षत, दूर्वा, पीले फूल, पीले वस्त्र, जनेऊ, गुड़, धनिया व मोदक का भोग अर्पित कर करें।
- पूजा के बाद भगवान श्री गणेश के इस मंत्र का स्मरण करें -
त्वमेव ब्रह्मा विष्णुश्र्च महेशो भानुरेव च।
त्वमेव पृथ्वी वायुरन्तरिक्षं दिशो द्रुमा:। पर्वतै: सहिता: सिद्धा गन्धर्वा यक्षराक्षसा:।।
मुनयो मानवाश्र्चापि स्थावरं जङ्गम जगत्। त्वमेव सर्वं देवेश सचेतनमचेतनम्।।
जन्मान्तरीययपुण्येन दृष्टोसि कश्यपात्मज।
- मंत्र स्मरण के बाद भगवान गणेश की आरती करें और घर में दीपज्योति फेराएं। प्रसाद ग्रहण करें।
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